रांची
टीम sportsjharkhand.com |
“स्टेरॉयड” इंजेक्शन की ये तस्वीर मोरहाबादी, रांची के बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम के पश्चिम भाग में अवस्थित झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन (JOA) के पास एक टॉयलेट की है। सोमवार से शुरू हो रही प्रतियोगिता के पहले दिन 10 किमी महिला व पुरुष, महिला हैमर थ्रो और स्टेपल चेज महिला पुरुष (3 किमी) के फाइनल मुकाबले होने हैं। जाहिर है इन्हीं इवेंट में भाग लेनेवाले एथलीटों में से किसी ने “स्टेरॉयड” का ये इंजेक्शन लिया है। क्योंकि स्पोर्ट्स मेडिसिन के जानकार बताते हैं कि इस तरह के “स्टेरॉयड” का इंजेक्शन इवेंट से 24 घंटे पहले लिया जाता है और इसका असर मानव के शरीर पर लगभग 72 घंटे तक रहता है। इससे एथलीटों को थोड़ा एक्स्ट्रा एडवांटेज मिलता है। चैंपियनशिप में भाग ले रहे एथलीटों को ये विश्वास होगा कि आयोजकों की ओर से “डोपिंग टेस्ट” की औपचारिकता पूरी की जा रही होगी और इंजेक्शन लेनेवाले इसकी जद में नहीं आएंगे। तभी खुलेआम “स्टेरॉयड” इंजेक्शन भोंके जा रहे हैं।
रांची में दर्जनों राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हुईं लेकिन डोपिंग में अब तक कोई नहीं फंसा
राजधानी बनने के बाद रांची में अब तक विभिन्न खेलों की दर्जनों राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं लेकिन खास बात ये रही कि डोपिंग में अब तक कोई नहीं पकड़ा जा सका। शायद यही कारण है कि आयोजन स्थल के आसपास आपको प्रत्येक टूर्नामेंट के आयोजन के दौरान “स्टेरॉयड” व अन्य शक्तिवर्धक दवाईयों के खाली रैपर/इंजेक्शन बिखरे पड़े रहते हैं। एथलेटिक्स, कुश्ती व पावरलिफ्टिंग के कई आयोजनों में पूर्व में भी ऐसी ही तस्वीरें दिखती रही हैं।