रांची |
मंगलवार से जमशेदपुर में शुरू हो रहे SAFF U 18 बालिका फुटबॉल चैंपियनशिप के लिए चयनित अस्तम उरांव व पूर्णिमा कुमारी की प्रशिक्षिका सोनी कुमारी को पिछले 21 माह से मानदेय का इंतज़ार है। सोनी कुमारी झारखंड खेल प्राधिकरण (साझा) द्वारा संचालित हजारीबाग आवासीय बालिका फुटबॉल प्रशिक्षण केंद्र में बतौर प्रशिक्षिका 2018 से कार्यरत हैं। इस केंद्र में प्रशिक्षण का जिम्मा PPP मोड पर एकलव्य स्पोर्ट्स एंड स्किल डेवलपमेंट फाउंडेशन करता आ रहा है। जून 2020 तक सोनी कुमारी को मानदेय का भुगतान निर्बाध रूप से होता रहा लेकिन जुलाई 2020 से भुगतान लंबित है। दर्जनों पत्राचार के बाद भी मानदेय का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। साझा के कर्ता-धर्ता के अनुसार भुगतान के संदर्भ में एकलव्य स्पोर्ट्स एंड स्किल डेवलपमेंट फाउंडेशन व जिला खेल पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है, रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण भुगतान लंबित है।
भुगतान में ऐसे फंसा है पेंच ?
2018 में हजारीबाग बालिका व लोहरदगा बालक फुटबॉल केंद्र में प्रशिक्षण का काम एकलव्य स्पोर्ट्स एंड स्किल डेवलपमेंट फाउंडेशन को दिया गया था। फाउंडेशन ने जून 2020 तक अपनी सेवा दी और बोरिया बिस्तर समेट लिया। फाउंडेशन के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने सससस को बताया कि हमारा करार खत्म हो चुका है इसलिए लंबित भुगतान के संदर्भ में मैं कुछ नहीं बता सकता। जबकि साझा के कर्णधारों के अनुसार फाउंडेशन का लोहरदगा सेंटर के लिए हुआ करार खत्म हुआ है, हज़ारीबाग़ सेंटर के करार पर उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
सेंटर में कई प्रतिभाशाली फुटबॉलर अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर जगह बनाने की तैयारी में
सोनी कुमारी के प्रशिक्षण में अस्तम उरांव व पूर्णिमा कुमारी पिछले 3 वर्षों से भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। दो अन्य फुटबॉलर अंजनी कुमारी व पूनम लकड़ा (दोनों डिफेंडर) खेलो इंडिया के लिए चयनित हो चुकी हैं। चार-पांच अन्य फुटबॉलर भी लगातार राष्ट्रीय टीम का दरवाजा खटखटा रही हैं।
फाउंडेशन कम पैसे का करता था भुगतान
ससस को जानकारी मिली है एकलव्य स्पोर्ट्स एंड स्किल डेवलपमेंट फाउंडेशन साझा से प्रशिक्षकों के मानदेय के एवज में मोटी रकम लेता था। जबकि कोच को उस रकम का एक तिहाई हिस्सा ही मिलता था।
जीशान कमर कोई भी जवाब देना उचित नहीं समझा।
देवेंद्र सिंह फाउंडेशन व DSO के साथ पत्राचार किया गया है। जवाब नहीं आया है इसलिए भुगतान लंबित है।
कल्याण चौबे हमारा करार खत्म हो चुका है और हम झारखंड से बोरिया बिस्तर समेट चुके हैं। हमारी कोई देनदारी नहीं बची है। |