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Home खेल से खिलवाड़ !

अयोग्य को योग्य नहीं ठहराते तो इबैको कंपनी को नहीं मिलता टेंडर, इसलिए एफआइएच स्टेडियम बनाने की अनिवार्य अहर्ता नहीं होने के बावजूद मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज को टेंडर कमिटी ने ठहराया योग्य

मुंबई की इबैको कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर कमिटी ने एक के बाद एक कई गलतियां की

Sushil Singh Mantu by Sushil Singh Mantu
03-11-2021 @ 10:54 AM
in खेल से खिलवाड़ !
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अयोग्य को योग्य नहीं ठहराते तो इबैको कंपनी को नहीं मिलता टेंडर, इसलिए एफआइएच स्टेडियम बनाने की अनिवार्य अहर्ता नहीं होने के बावजूद मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज को टेंडर कमिटी ने ठहराया योग्य

तकनीकी बिड के तहत वर्क एक्सपीरिएंस का कॉलम

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रांची/खूंटी
टीम sportsjharkhand.com

 

साझा के अफसरों के सांझे चूल्हे में पक रही भ्रष्टाचार की खिचड़ी : भाग – 2

 

 

खूंटी के एस्ट्रो टर्फ के नवनिर्माण के लिए साझा के कार्यकारी निदेशक सह खेल निदेशक जिशान कमर की अध्यक्षता वाली टेंडर कमिटी ने टेंडर की शर्तों के प्रतिकूल जाकर निर्णय लिए। टेंडर जब निकाला गया तो कंपनियों के लिए एक अनिवार्य शर्त रखी गई थी कि 5 एफआइएच फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल हॉकी एप्रूव्ड स्टेडियम निर्माण कार्य पूरा करनेवाली कंपनी ही टेंडर के लिए योग्य होगी। टेंडर में तीन कंपनियों ने भाग लिया जिसमें से दो कंपनियों के पास एक भी एफआइएच एप्रूव्ड हॉकी स्टेडियम बनाने का अनुभव नहीं था। 4 जुन को तकनीकी बीड खुला तो मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज व स्पोर्ट्स एन कोर्ट्स ने जो दस्तावेज सौंपे थे उनके अनुसार उनके पास वांछित अनुभव नहीं था। तकनीकी कमिटी ने इस बात को दस्तावेज में दर्ज भी किया है। ऐसा लगता है कि दर्ज करने के दौरान कमिटी के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों के आंखों पर कोई अनजानी पट्टी बंधी रही होगी कि अनिवार्य शर्त की अवहेलना का ख्याल तक नहीं आया। खास बात ये है कि अंततः चयनित इबैको कंपनी के पास भी मात्र एक एफआइएच एप्रूव्ड स्टेडियम बनाने का ही अनुभव था। 5 एफआइएच एप्रूव्ड हॉकी स्टेडियम निर्माण की शर्त होने के कारण कई कंपनियों ने टेंडर तक नहीं भरा और अंततः एक एफआइएच एप्रूव्ड स्टेडियम बनाने वाली कंपनी को ठेका दे दिया गया।

अयोग्य को योग्य नहीं ठहराते तो इबैको कंपनी को नहीं मिलता टेंडर, इसलिए एफआइएच स्टेडियम बनाने की अनिवार्य अहर्ता नहीं होने के बावजूद मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज को टेंडर कमिटी ने ठहराया योग्य
टेंडर की NIT का पेज नंबर 26, जिसमें 5 FIH स्टेडियम बनाने की अनिवार्य शर्त का जिक्र है

 

सिंगल टेंडर न हो इसलिए अयोग्य मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज को कमिटी ने बताया योग्य

टेंडर कमिटी ने मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज के तकनीकी बीड को अयोग्य होने के बावजूद योग्य ठहराया क्योंकि वा ऐसा नहीं करती तो मामला सिंगल टेंडर का बन जाता। स्पोर्ट्स एन कोर्ट्स ने तो किसी भी तरह के स्टेडियम बनाने के संदर्भ में कोई दस्तावेज ही नहीं सौंपा था। मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज ने हॉकी छोड़कर अन्य स्टेडियम बनाने की जानकारी दी थी। तीन कंपनियों में से तकनीकी बीड में ही दो कंपनी छंट जाती तो मामला सिंगल टेंडर का हो जाता और फिनांसियल बीड खोलने की नौबत ही नहीं आती। इस लिए अयोग्य को योग्य ठहराते हुए दो कंपनियों को फिनांसियल बीड के लिए योग्य बताया गया और मनचाही कंपनी को ठेका दे दिया गया।

 

अयोग्य को योग्य नहीं ठहराते तो इबैको कंपनी को नहीं मिलता टेंडर, इसलिए एफआइएच स्टेडियम बनाने की अनिवार्य अहर्ता नहीं होने के बावजूद मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज को टेंडर कमिटी ने ठहराया योग्य
तकनीकी बिड के तहत वर्क एक्सपीरिएंस का कॉलम

 

इबैको ने जिस एफआइएच एप्रूव्ड स्टेडियम को बनाने का पेश किया है दावा, एफआइएच की वेबसाइट उसे झूठला रही है

टेंडर कमिटी ने इबैको कंपनी के इस दावे को स्वीकार किया कि उसने नासिक, महाराष्ट्र पुलिस अकादमी में एक एफआइएच एप्रूव्ड स्टेडियम का निर्माण किया है। उसे एफआइएच की आधिकारिक वेबसाइट ही झूठला रही है। एफआइएच की आधिकारिक वेबसाइट पर विश्व की सभी एफआइएच एप्रूव्ड स्टेडियम की सूची है। उस सूची में नासिक की पुलिस अकादमी का नाम तो दर्ज है लेकिन बनवाने वालों के कॉलम में इबैको कंपनी का नाम तक नहीं है। कॉलम खाली है जबकि अन्य स्टेडियम के सामने कंपनियों का नाम दर्ज है। देखें तस्वीर

 

अयोग्य को योग्य नहीं ठहराते तो इबैको कंपनी को नहीं मिलता टेंडर, इसलिए एफआइएच स्टेडियम बनाने की अनिवार्य अहर्ता नहीं होने के बावजूद मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज को टेंडर कमिटी ने ठहराया योग्य
FIH की वेबसाइट पर महाराष्ट्र पुलिस अकादमी से जुड़ी जानकारी

क्या टेंडर कमिटी ने इसे क्रॉस वेरिफाई करना उचित नहीं समझा था। आज के युग में जब सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है तो क्रॉस वेरिफाई क्यों नहीं किया गया। साफ है कि टेंडर जिसको देना था ये पहले से तय था और सिर्फ कागजों पर प्रक्रिया के नाम पर कालिख पोती जा रही थी।

 

इबैको व मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज में पूर्व से रहा है गंठजोड़

sportsjharkhand.com को जानकारी मिली है कि इबैको व मेसर्स प्रवीण इंटरप्राइजेज पूर्व से भी एक दूसरे के साथ मिलकर काम करती आ रही हैं। इबैको स्पोर्ट्स गुड्स इस्वीपमेंट आदि की विशेषज्ञता रखता है जबकि प्रवीण इंटरप्राइजेज सिविल कार्यों को देखता है। देश में कई जगहों पर दोनों कंपनियों ने मिलकर काम किया है। ऐसे में एक ही टेंडर में एक दूसरे के खिलाफ टेंडर डालना नूरा कुश्ती तो नहीं 

 

जिशान कमर ने sportsjharkhand.com के सवालों पर थामी चुप्पी

खूंटी के एस्ट्रो टर्फ स्टेडियम के रेनोवेशन कार्य से जुड़े विषयों पर sportsjharkhand.com ने 7 अक्टूबर 2021 को साझा के निदेशक सह खेल निदेशक जिशान कमर से व्हाट्सएप्प पर जवाब मांगा था। हमने इससे जुड़े तीन सवाल पूछे थे

 

2. sportsjharkhand.com को जानकारी मिली है कि (संभव है ये जानकारी गलत भी हो) की इस शर्त में 5 FIH स्टेडियम की जगह 1 FIH स्टेडियम करने से संबंधित Corrigendum निकाला गया था। अगर हां तो किस तारीख को निकाला गया और इसका आधार क्या था ? प्री बिड मीटिंग हुई या किस आधार Corrigendum निकाला गया था ?
किस तारीख को Corrigendum निकाला गया ?
और किन-किन बिंदुओं पर Corrigendum निकाला गया था ?

3. अगर एक FIH स्टेडियम बनाने की शर्त लगाई गई थी तो EBACO के अलावा तकनीकी बिड में सफल करार दी गई एक अन्य कंपनी Ms Praveen Enterprises इस शर्त को पूरा करती है ?
टेंडर कमिटि ने जो तुलनात्मक विवरणी बनाई है, उसमें तो Ms Praveen Enterprises द्वारा कोई भी FIH हॉकी टर्फ-स्टेडियम बनाने का जिक्र नहीं है।
जब एक कंपनी प्राथमिक शर्त को ही पूरा नहीं करती तो उसे आपकी अध्यक्षता वाली टेंडर कमिटि ने योग्य कैसे बता दिया ?

4. EBACO ने भी नासिक के जिस हॉकी ग्राउंड/स्टेडियम बनाने का दावा किया है। FIH की वेबसाइट इस दावे की पुष्टि नहीं करता है। FIH की वेबसाइट पर FIH द्वारा एप्रूव्ड पूरे विश्वभर के स्टेडियम की सूची है, जिसमें स्टेडियम बनानेवाली कंपनियों के नाम भी दर्ज हैं। EBACO ने नासिक के महाराष्ट्र पुलिस अकादमी के एस्ट्रो टर्फ बनाने का दावा तो किया है FIH के वेबसाइट पर निर्माता कंपनी की लिस्ट में EBACO कंपनी का नाम दर्ज नहीं है। आप स्वयं चेक कर सकते हैं।
क्या तकनीकी बिड देखने के वक़्त ये क्रॉस वेरीफाई किया गया था ?

 

अभी तक उपरोक्त व अन्य प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिला है। राज्य के खेल मंत्री सह साझा कार्यकारिणी समिति के सभापति हफिजुल हसन जी के दोनों आप्त सचिवों को इस गंभीर मुद्दे पर 15 अक्टूबर को सवाल भेजकर जवाब मांगा था। जवाब अप्राप्त है।

 

जारी रहेगी हमारी ये विशेष श्रृंखला, शनिवार को पढ़िए

 

साझा के अफसरों के सांझे चूल्हे में पक रही भ्रष्टाचार की खिचड़ी : भाग – 3

 

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