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खेल से जुड़े सरकारी अधिकारी खिलाड़ियों को लेकर किस कदर संवेदनहीन हैं इसकी बानगी जिम्नास्ट शुभम के असमय कालकलवित होने के मामले में देखने को मिल रही है। संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा ये कि जिस जिला खेल पदाधिकारी (DSO) से शुभम के कोच व परिजनों ने इलाज़ के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी, उस DSO ने निदेशालय को पत्र लिखकर व रिम्स का एक दौरा कर अपनी जिम्मेवारी की इतीश्री कर ली। यही नहीं पत्र लिखने के बाद DSO साहेब अपनी सारी जिम्मेवारियों को छोड़ नेहरू कप हॉकी प्रतियोगिता में भाग लेनेवाली अंडर-17 बालिका टीम का मैनेजर बनकर 31 अक्टूबर को ही दिल्ली की सैर पर निकल पड़े। इस अत्यंत ही काबिल व संवेदनशून्य DSO का नाम है उपवन बाड़ा, साहेब के जिम्मे रांची जिला में खेल विकास की महती जिम्मेवारी है।
DSO को उपायुक्त के संज्ञान में लाना चाहिए था मामला
28 जुलाई को पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के आदेश सं. 01/खेल-12-03/21/क 87 के अनुसार DSO महोदय को आवेदन मिलने के तीन दिन के अंदर पूरा मामला उपायुक्त के संज्ञान में लाकर मदद करानी चाहिए थी। लेकिन DSO महोदय ने ऐसा कुछ नहीं किया और हु..तू..तू.. करते हुए दिल्ली की सैर पर निकल पड़े। झारखंड बनने के बाद शायद ये पहला है जब DSO जैसे गैजेटेड अफसर किसी टीम के मैनेजर बनकर दौरे पर गए हों। आमतौर पर टीम के साथ संबंधित खेल संघ से जुड़े पदाधिकारी ही मैनेजर बनकर जाते हैं लेकिन… उपवन जी को कुछ और ही मंजूर था, सो निकल पड़े। वैसे जानकारी मिली है कि DSO को सीनियर अधिकारी ने दिल्ली जाने का फरमान सुनाया था। वो सीनियर अधिकारी अभी टेंडर-टेंडर खेलने में अपनी ऊर्जा खपा रहे हैं।


जिला स्तर पर कमिटी के अध्यक्ष होते हैं उपायुक्त
पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के 28 जुलाई 2021 के आदेश सं. 01/खेल-12-03/21/क 87 के अनुसार कमिटी के अध्यक्ष उपायुक्त होते हैं जबकि उपविकास आयुक्त, जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला खेल पदाधिकारी व संबंधित प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी सदस्य होते हैं। ये कमिटी जिला स्तर पर अभावग्रस्त एवं जरूरतमंद खिलाड़ियों की त्वरीत सहायता के लिए बनाई गई है, जिसे 3 दिन के अंदर मदद पहुंचानी है। शुभम के मामले में या किसी और के मामले में सरकारी दस्तावेजों पर बनी ऐसी कमिटियां क्या करती रही है ये सबके सामने है।