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गुजरात राष्ट्रीय खेलों में झारखंड के 222 सदस्यीय भारी भरकम दल ने 3 स्वर्ण पदकों समेत मात्र 13 पदक जीतकर पिछले दो दशकों के दौरान सबसे खराब प्रदर्शन किया है। गुजरात राष्ट्रीय खेल तो बुधवार को समाप्त हो रहे हैं लेकिन झारखंड की पूरी चुनौती मंगलवार को ही समाप्त हो गई। झारखंड के खिलाड़ियों ने 16 खेलों में भाग लिया था और मात्र 5 खेलों में ही 3 स्वर्ण, 5 रजत और 5 कांस्य पदक जीतने में कामयाबी हासिल की। झारखंड के खिलाड़ी सिर्फ और सिर्फ तीरंदाजी, लॉन बॉल, एथलेटिक्स, वूशु और रोइंग में ही पदक जीतने में कामयाब रहे। हॉकी समेत 11 खेलों में झारखंड की झोली खाली रही।
इन खेलों में मिले झारखंड को पदक
लॉन बॉल : 2 स्वर्ण, 3 रजत व 1 कांस्य
तीरंदाजी : 1 स्वर्ण, 2 रजत व 1 कांस्य
एथलेटिक्स : 1 कांस्य
रोइंग : 1 कांस्य
वूशु : 1 कांस्य
इन खेलों में रहे खाली हाथ
हॉकी, बॉक्सिंग, जिम्नास्टिक, जूडो, मलखंब, रोलर स्केटिंग, स्क्वैश, तैराकी, ट्रायथलॉन, योग और कुश्ती.
36 में से मात्र 16 खेलों में भाग लिया झारखंड ने
राष्ट्रीय खेलों में वही टीम या खिलाड़ी भाग लेते हैं जो राष्ट्रीय प्रतियोगिता के दौरान टॉप 8 में अपनी जगह बनाने में कामयाब होते हैं। गुजरात राष्ट्रीय खेलों के लिए झारखंड के खिलाड़ी 36 में से मात्र 16 खेलों में भाग लेने की पात्रता हासिल करने में कामयाब रहे थे। इन 16 में से 12 खेलों में झारखंड के हाथ कोई भी पदक नहीं आया।
222 सदस्यीय दल में 168 खिलाड़ी
JOA ने जो टीम गुजरात भेजी थी उसमें 168 खिलाड़ी, 25 प्रशिक्षक, 15 मैनेजर के अलावा JOA के 14 ऑफिशियल शामिल थे।
राष्ट्रीय खेलों में झारखंड का अब तक का सफर
2001 पंजाब : 6 पदक 2002 आंध्र प्रदेश : 7 पदक 2007 असम : 22 पदक 2011 झारखंड : 96 पदक 2015 केरल : 23 पदक 2022 गुजरात : 13 पदक |
क्यों हुई दुर्दशा : खेल प्रशासकों की प्राथमिकता खिलाड़ियों का प्रशिक्षण नहीं बल्कि “ब्लेजर”
भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने लगभग चार माह पहले राष्ट्रीय खेल आयोजन की घोषणा की थी। राष्ट्रीय खेल में टीम भेजने का जिम्मा झारखंड ओलंपिक संघ (JOA) का होता है। JOA ने खिलाड़ियों के क्रमवार प्रशिक्षण की सुध नहीं ली लेकिन ब्लेजर न मिलने को मुद्दा बनाया। राष्ट्रीय खेल आयोजन से ऐन पहले बियाह के समय कोंहड़ा बोने की तर्ज पर खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए गए। परिणाम सबके सामने है।
“खिलाड़ियों के लिए कैंप का आयोजन सही तरीके से नहीं हुआ। कई खेलों में इक्विपमेंट की कमी रही और कई खेलों में समयभाव के कारण खिलाड़ियों के बीच सामंजस्य की कमी रह गई। यही कारण है कि कई खेलों में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद पदक नहीं मिल पाया। इन गलतियों से सीखते हुए अगले वर्ष गोवा में होनेवाले राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों में जुटना होगा”
शिवेंद्र दूबे,चीफ डी मिशन, झारखंड टीम सह कोषाध्यक्ष JOA