रांची
चंदन भट्टाचार्य sportsjharkhand.com |
भारतीय रेल हमेशा से ही खिलाड़ियों को रोजगार उपलब्ध कराने में अव्वल रहा है। भारतीय रेल के रांची रेल मंडल ने भी इसी परंपरा का निर्वहन शानदार तरीके से किया है। स्थिति ये है कि आज की तारीख में रांची रेल मंडल खिलाड़ियों को नौकरी देने के मामले में झारखंड के सबसे अग्रणी संस्थानों में से शिखर पर है। इस मंडल के खिलाड़ियों की धमक भारतीय हॉकी टीम तक रही है। भारतीय टीम में सदैव ही इस मंडल के खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से अमिट छाप छोड़ी है। दो-दो खिलाड़ियों सुमराय टेटे और असुंता लकड़ा ने तो भारतीय सीनियर हॉकी टीम की कप्तानी भी की। वर्तमान भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करनेवाली ज्यादातर खिलाड़ी रांची मंडल में ही कार्यरत हैं। इनके अलावा भी कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है, जो रांची रेल मंडल से जुड़े हुए हैं और सबसे खास बात की महिलाओं ने इस मामले में पुरुषों को काफी पीछे छोड़ दिया है।
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया था। ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम के 16 सदस्यीय टीम में से 13 खिलाड़ी भारतीय रेलवे से जुड़ी हुई थी और इनमें से दो रांची रेल डिवीजन की थी। रांची रेलवे डिवीजन का पुरुष और महिला राष्ट्रीय टीम में हॉकी खिलाड़ी देने का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। आज भी इस रेल डिवीजन में कार्यरत कई खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। निक्की प्रधान और सलीमा टेटे रांची रेल डिवीजन में ओएसडी के पद पर कार्यरत है और उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए टोक्यो ओलंपिक में शानदार व ऐतिहासिक प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
रांची रेल मंडल में महिला खिलाड़ियों को पहली मजबूत पहचान दिलाने का श्रेय सावित्री पूर्ति को जाता है। 1983 में राष्ट्रीय महिला टीम में सावित्री पूर्ति का चयन हुआ। सावित्री एकीकृत बिहार झारखंड से अंतरराष्ट्रीय हॉकी खेलनेवाली पहली महिला खिलाड़ी थीं। बाद में सावित्री 2011 से 2014 तक राष्ट्रीय चयनकर्ता बनी और भारतीय हॉकी के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दीर्घकालीन योजना के तहत काम कर रहा रांची रेल मंडल
वर्तमान में रांची रेल मंडल खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए अहम भूमिका निभा रहा है। इस मंडल के ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जो देश और राज्य के लिए खेल रहे हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। इनमें सलीमा टेटे और निक्की प्रधान का नाम शामिल है। इसके अलावा अंडर-19 क्रिकेट में भारतीय टीम में शामिल सुशांत मिश्रा और जूनियर हॉकी टीम में खेल चुकी संगीता कुमारी को भी रेलवे की ओर से बहाल किया गया है। रांची रेल मंडल ने नए सत्र में 6 खिलाड़ियों को रेलवे में नौकरी प्रदान की है। यानी रेलवे से जुड़ने वाले खिलाड़ियों को रांची रेल मंडल की ओर से भरपूर सम्मान मिल रहा है। मंडल ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को एंप्लॉयमेंट के लिए मौके दिए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण व रिक्रूटमेंट के लिए अभियान चलाएगा रांची रेल मंडल
रांची रेल मंडल ने झारखंड के विभिन्न सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभाओं को ढूंढने के लिए एक अभियान भी चलाने का निर्णय लिया है। जो खिलाड़ी बेहतर होंगे उन्हें चिन्हित कर प्रशिक्षण दिया जाएगा और रेलवे में एंप्लॉयमेंट भी मिलेगा।
रांची रेल मंडल में कार्यरत पूर्व का स्वर्णिम इतिहास
विश्वासी पूर्ति, अल्मा गुड़िया और दयामनी सोय ने 1986 में दक्षिण कोरिया में खेले गए एशियाई खेलों में देश के लिए कांस्य पदक जीता था। भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सुमराय टेटे ने और मसीरा सुरीन ने मैनचेस्टर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
पुरुष हॉकी में भी रांची रेल मंडल के खिलाड़ियों की धमक
पुरुष हॉकी की बात करें तो अनमोल आयंद जैसे हॉकी खिलाड़ियों ने 1997 जूनियर विश्वकप हॉकी खेला और 1998 की हॉकी टीम में टीम के सदस्य थे। इससे पहले जेम्स केरकट्टा 1985 में भारत के लिए खेले और अभय एक्का 2015 दक्षिणी एशियाई खेलों में टीम का प्रतिनिधित्व किया।
पिछले तीन वर्षों में 18 खिलाड़ियों को नौकरी
रांची रेल मंडल में वर्ष 2019 से 22 के बीच हॉकी, आर्चरी और क्रिकेट से जुड़े 18 से अधिक खिलाड़ियों को विभिन्न पदों पर नियुक्ति दी है।
2019 : प्रिया, अलका डुंगडुंग, सलीमा टेटे (सभी हॉकी) और मधुमिता कुमारी (तीरंदाजी)
2020 : अंशु लकड़ा, संगीता कुमारी, कृष्णा तिर्की (सभी हॉकी) रमन चौधरी, रोहित कुमार बिंद (दोनों वॉलीबॉल)
2021 : सुशांत कुमार मिश्र (क्रिकेट), प्रिया डुंगडुंग, ईदुला ज्योति, प्रकाश धर (सभी हॉकी)
2022 : दीपिका सोरेंग, मरीना, हिमांशु, सव्यसाची मिंज (हॉकी), दीप्ति कुमारी (आर्चरी)
स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में जुटा है रांची रेल मंडल
रांची रेलवे डिवीजन ने संभावित प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को नौकरी देने के अलावा विश्व स्तर की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी कड़ी मेहनत की है। जिससे की खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार किया जा सके। अत्याधुनिक हॉकी स्टेडियम, व्यामशाला, फिजियोथैरेपी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रतिष्ठित प्रशिक्षकों/खिलाड़ियों द्वारा प्रशिक्षण और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मिलनेवाले प्रोत्साहन ने खिलाड़ियों के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया है।