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छह माह से एक्सटेंशन का इंतज़ार कर रहे राज्य के प्रशिक्षकों पर खेल निदेशक ने जिला खेल पदाधिकारियों के माध्यम से अनुशासन का चाबुक चलाया है। निदेशक जीशान कमर के हस्ताक्षर से 29 सितंबर को पत्रांक 2/खे.नि.08/प्र.के 4/2017/388 द्वारा प्रशिक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे संबंधित जिला खेल पदाधिकारियों के माध्यम से निदेशालय द्वारा बगैर पूर्वानुमति के विभागीय कार्यक्रमों के अतिरिक्त अन्य कार्यक्रमों व प्रतियोगिताओं में अपनी सहभागिता न निभाएं। अगर प्रशुक्षकों ने ऐसा किया तो उनपर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस पत्र को जारी करने का तात्कालिक कारण आगामी 1 से 10 अक्टूबर तक जमशेदपुर में आयोजित होनेवाली प्रतियोगिता की तैयारियों की जड़ में छुपा है।
झारखण्ड आर्चरी संघ ने 7 प्रशिक्षकों की सेवा मांगी, निदेशक ने सिर्फ 4 को मंजूर किया
1 से 10 अक्टूबर तक टाटा में आयोजित होनेवाली राष्ट्रीय तीरंदाज़ी प्रतियोगिता के लिए झारखण्ड आर्चरी संघ ने निदेशालय व साझा में कार्यरत 7 प्रशिक्षकों की सेवा मांगी थी। निदेशक महोदय ने बगैर कोई तर्क दिए अक्कड़-बक्कड़-बोम्बेय-बो किया और चार नाम को मंजूरी दी और 3 नाम खारिज़ कर दिए। जिनके नाम खारिज़ किये गए उनमे से एक झारखंड टीम के कोच नियुक्त किये गए हैं और एक अन्य कोच को प्रतियोगिता के दौरान जज की भूमिका निभानी है। संभवतः इसी पत्राचार के बाद निदेशक महोदय को याद आया होगा कि अब अनुशासन का पाठ पढ़ाना होगा, इसलिए पत्र जारी कर दिया।
86 डे बोर्डिंग प्रशिक्षकों को पिछले 7 माह से मानदेय नहीं, निदेशालय की कर्तव्यहीनता के लिए कौन जिम्मेवार ?
86 डे बोर्डिंग प्रशिक्षकों को पिछले 7 माह से मानदेय नहीं मिला है। इस कर्तव्यहीनता के लिए निदेशालय के कौन-कौन से कर्मचारी-अधिकारी जिम्मेवार हैं ? आपकी कोई जिम्मेवारी बनती है या नहीं ? 7 माह से वेतन का इंतज़ार कर रहे डे बोर्डिंग कोच को अनुशासन का पाठ पढ़ाने से पहले पेट की आग बुझाने का काम निदेशालय द्वारा कर लिया जाता तो बेहतर रहता। यह भी याद फरमा लीजियेगा की पिछले 7 माह के दौरान विभागीय कार्यक्रमों से इतर आप विभाग के प्रशिक्षकों के साथ किस-किस कार्यक्रम में नज़र आ चुके हैं। इसके लिए अक्कड़-बक्कड़-बोम्बेय-बो की ज़रूरत तो नहीं पड़ेगी न !