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झारखंड फुटबॉल संघ (JFA) में अध्यक्ष नज़म अंसारी व महासचिव गुलाम रब्बानी के बीच पिछले कई माह से चल रहे शीत युद्ध का पटाक्षेप हो गया है। बिहार फुटबॉल संघ व SE रेलवे के बीच चक्रधरपुर पोराहाट स्पोर्ट्स एसोसिएशन की मान्यता के संदर्भ में हुए पत्रचार के बाद शुक्रवार को JFA कार्यकारिणी समिति की धनबाद में हुई इमर्जेंट बैठक में अध्यक्ष नज़म अंसारी को अवैध व अमान्य मानते हुए हटा दिया है। JFA ने ये फैसला सर्वसम्मति से लिया है। पता हो कि इसी वर्ष की शुरुआत में भी जमशेदपुर में आयोजित JFA की बैठक में भी नज़म अंसारी को हटाकर झारखण्ड सरकार के मंत्री मिथिलेश ठाकुर को अध्यक्ष बनाया जाना था, जिसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका था। उस वक़्त मिथिलेश ठाकुर को चेयरमैन बनाकर मामला सलटाया गया था और नज़म अंसारी की कुर्सी बच गई थी।


चक्रधरपुर पोराहाट स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में नज़म अंसारी की मान्यता पर फंसा पेंच
वर्ष 2001 के वक़्त से ही रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल को बिहार फुटबॉल संघ ने अलग जिला के रूप में मान्यता दी थी। बिहार फुटबॉल संघ के निर्माण के बाद चक्रधरपुर पोराहाट स्पोर्ट्स एसोसिएशन झारखंड फुटबॉल संघ का जिला बना। रेलवे के नियमानुसार इस संघ का पदाधिकारी सिर्फ और सिर्फ रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी ही हो सकते हैं। ऐसे में 27 अक्टूबर, 2 नवंबर व 8 नवंबर को रेलवे व बिहार फुटबॉल संघ के बीच हुए पत्राचार के बाद चक्रधरपुर के अध्यक्ष के पद पर नज़म अंसारी की कब्जा अवैध माना गया और उनकी छुट्टी कर दी गई। जब वे किसी जिला के वैध प्रतिनिधि ही नहीं रहे तो JFA के पदाधिकारी कैसे रह सकते हैं। इसलिए शुक्रवार को नज़म अंसारी को JFA से बाहर कर दिया गया।


दस्तावेज़ व JFA के फैसले का अध्ययन कर रहा हूँ, AIFF व कोर्ट का दरवाजा खतखटाऊंगा – नज़म अंसारी
इस मसले पर जब नज़म अंसारी का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे भी जानकारी मिली है। सभी दस्तावेजों के आईने में JFA के फैसले की वैधता अवैधता का अध्ययन कर रहा हूँ। ज़रूरत पड़ी तो न्याय के लिए भरातीय फुटबॉल संघ (AIFF) व कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
अचानक उत्पन्न हुई परिस्थितियों के अनुसार लिया गया फैसला – रब्बानी
JFA महासचिव ने पूरे प्रकरण पर कहा कि बिहार फुटबॉल संघ व रेलवे के बीच हुए पत्राचार की प्रति लगातार JFA को मिल रही थी। इस पत्राचार के कारण जब JFA पर संकट आया तो हमने इमर्जेंट बैठक कर निर्णय लिया।

