रांची |
रविवार को झारखंड सरकार के हेवीवेट कैबिनेट मंत्री मिथिलेश ठाकुर की मौजूदगी में झारखंड फुटबॉल संघ की विशेष आम सभा हुई और उसमें अध्यक्ष को निपटाने का निर्णय लिया गया। निर्णय के 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि भारतीय फुटबॉल महासंघ ने झारखंड के खिलाड़ियों के संतोष ट्राफी समेत राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया। माननीय मंत्री जी आपकी जिम्मेवारी तो राज्य के लोगों के हक हुकूक की रक्षा करने की है लेकिन आपके कृत्य से राज्य के फुटबॉलरों का भविष्य अंधकारमय होता हुआ दिखाई दे रहा है। आपकी जिम्मेवारी थी कि एक अभिभावक के तौर पर आप मसले के समाधान के लिए पहल करते और सुलह कर कोई रास्ता निकालते क्योंकि शनिवार को ही भारतीय फुटबॉल महासंघ ने साफ कर दिया था कि अगर अध्यक्ष सचिव एक नहीं हुए तो खिलाड़ियों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा। लेकिन आपने मामले के निपटारे की बजाय एक पक्ष को निपटाने के लिए धनबाद में बैठक की और फुटबॉलरों को ही निपटा डाला ! मंत्री जी आपको पार्टी बनना था तो फुटबॉलरों के पक्ष में पार्टी बनते लेकिन आपने एक पक्ष के साथ मिलकर फुटबॉलरों को आज के डेट में कहीं का नहीं छोड़ा।
पदलोलुपता के लालच में आपके इस कुकृत्य को क्या नाम दिया जाए ?
मंत्री जी मन करे तो मंथन कर लीजियेगा और
मन न करे तो वक्त आपके कृत्य (कुकृत्य कहा जाए तो बेहतर होगा) का जवाब जरूर देगा, ये तय है।