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मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, होटवार, रांची में संचालित झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसायटी (JSSPS) की स्पोर्ट्स अकादमी का लक्ष्य है “मिशन ओलंपिक गोल्ड”। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यहां के प्रशिक्षक इतने जी जान से भिड़े हैं कि अपने एथलीटों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा तक नहीं लेने दे रहे हैं ! सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन यही सत्य है। एथलेटिक्स के मुख्य कोच संजय घोष को दशहरे में छुट्टियों पर घर जाना था। इसी बीच भारतीय एथलेटिक्स संघ ने 11-12 अक्टूबर (षष्ठी व सप्तमी) को नई दिल्ली में तीसरी राष्ट्रीय 400 मीटर चैंपियनशिप की तिथि मुक़र्रर कर दी। ऑनलाइन फॉर्म भरने की आखिरी तिथि थी 5 अक्टूबर और किसी भी एथलीट का फॉर्म नहीं भरा गया। जबकि JSSPS के कम से कम छह-सात एथलीट ऐसे थे जो इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते थे। टॉप 8 एथलीटों की जो टाइमिंग आई है, उसे देखकर लगता है कि JSSPS का कम से कम एक एथलीट तो पोडियम पर ज़रूर होता। ध्यान देनेवाली बात ये है कि U-16 बालक-बालिका के भाग लेने के लिए कोई इंट्री स्टैण्डर्ड नहीं रखा गया था अगर रखा भी जाता तो कम से कम तीन-चार एथलीट उस स्टैण्डर्ड को मीट करते। लेकिन कोच के स्वार्थ के कारण पिछले सात-आठ माह से रोजाना पसीना बहा रहे एथलीट राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाए।
JSSPS के ये एथलीट भाग ले सकते थे प्रतियोगिता में
1. सागर महतो : 2020 में स्कूल स्टेट में 400 मीटर की दौड़ में 52 सेकेंड के समय के साथ गोल्ड
2. राहुल उरांव : U 14 में 600 मीटर राष्ट्रीय रजत पदक विजेता
3. केशव कुमार : U 14 में 600 मीटर राष्ट्रीय कांस्य पदक विजेता
4. आरती मेहता (पिछले 7 माह से U 16 300 मीटर की तैयारी में जुटी एथलीट)
5. ऋतु कुमारी
6. सोनल कुमारी
7. हेमंती कुमारी
8. कीर्ति कुमारी
कोच ने कहा एथलेटिक्स का कोई भी कैडेट छुट्टी पर नहीं जाएगा और प्रिय शिष्य को छुट्टी पर भेज खुद भी निकल लिए
दशहरे की छुट्टी पर जाने से पहले कोच संजय घोष ने एथलीटों की असेंबली की। एथलीटों ने आग्रह किया कि दशहरे में चार दिन की छुट्टी दी जाए। संजय से साफ मना कर दिया और प्रबंधन को बताया कि कोई भी कैडेट छुट्टी पर नहीं जाएगा। कैडेट्स को छुट्टी नहीं दिए जाने का फरमान सुननेवाले संजय खुद तो छुट्टी पर गए ही अपने प्रिय शिष्य (शोले फ़िल्म में जेलर का जासूस हरिराम नाई) को भी छुट्टी पर जाने की इजाजत दे दी। अन्य सारे एथलेटिक्स कैडेट्स मनमसोस कर रह गए।
एथलेटिक्स के कई कैडेट्स अकादमी छोड़ गए, कई छोड़ने की तैयारी में
JSSPS की अकादमी में अनुशासन का अभाव है। कोच LMC के अधिकारियों के चमचे बन मनमाफिक ‘फ्रेंच लिव’ पर जा रहे लौटने के बाद हाज़िरी भी बना रहे। कैडेट्स को ट्रेनिंग देने की बजाय मैडम व सर की चापलूसी में ज्यादा वक्त गुजारा जा रहा है। कोई कोच अपनी बीबी-पति को सेटल करवा रहा तो कोई कोच अपनी गाड़ी को भाड़े में लगाने की जुगत भिड़ा रहा है। बस कैडेट्स को ट्रेनिंग नहीं दे रहा क्यों प्राथमिकताएं तय हैं। LMC के सदस्य प्रोक्योरमेंट पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं क्यों गुलाबी गांधी जी कृपा वहीं अटकी पड़ी है। यही कारण है कि प्रति माह मुफ्त का खाना-प्रशिक्षण-आवासन-किट व प्रति माह मिलनेवाली स्टाईपिंड को छोड़ कई कैडेट्स अपने अभिभावकों का पैसा खर्च दूसरी अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। कई कैडेट्स अपने अभिभावको की मर्ज़ी से अकादमी छोड़ने की तैयारी में हैं।