रांची
चंदन भट्टाचार्य |
कहीं खंडहर ना बन जाएं ये धरोहर -भाग 3
कहीं खंडहर न बन जाए ये धरोहर सीरीज के तहत मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की बदहाली की तस्वीर से हम आपको लगातार रूबरू करा रहे हैं। आज बात वीर बुधु भगत एक्वेटिक स्टेडियम की। स्टेडियम की तस्वीरें दुर्दशा की कहानी खुद बयां कर रही हैं।
तस्वीरों को देखकर साफ हो गया होगा कि मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का रख रखाव किस कदर कागजों पर हो रहा है। एक्वेटिक स्टेडियम में स्विमिंग कंपटीशन के लिए तीन पूल का निर्माण किया गया था। 50 मीटर का पूल, डाइविंग पूल और वाटर पोलो पूल। लंबे समय से इन तीनों पूल की साफ-सफाई नहीं हुई है। जानकारी मिली है कि इन सभी पूल की सफाई के लिए जरूरी केमिकल तक सफाई कर्मियों को JSSPS की ओर से मुहैया नहीं कराया गया है। स्टेडियम की दीवारों पर जंहा तहां काई जमी हुई है। बाहर के पिलर का ग्रेनाइट टूट कर नीचे गिर रहा है। तेज हवा के कारण एसीपी उखड़ रहे हैं। मुख्य द्वार को देखकर आपको नहीं लगेगा की यह स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। दर्शक दीर्घा की भी हालत ठीक नहीं है। जहां तहां रेलिंग उखड़े पड़े है और साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
25 करोड़ की लागत से बना था एक्वेटिक स्टेडियम
राष्ट्रीय खेल आयोजन से पहले 4000 की दर्शक क्षमता के साथ एक्विटिक स्टेडियम का निर्माण कराया गया था। निर्माण कार्य पर लगभग 25 करोड़ रुपए की लागत आई थी इसके अतिरिक्त स्कोर बोर्ड व अन्य खेल संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के नाम पर भी लगभग 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
CCL ने CSR फंड से नहीं कराई रिपेयरिंग
2015 में राज्य सरकार व CCL के बीच हुए MoU के अनुसार एक्वेटिक स्टेडियम की रिपेयरिंग व रिनोवेशन का काम CCL को CSR फंड से कराना था। लेकिन 2015-16 में CCL ने एक्वेटिक स्टेडियम की रिपेयरिंग नहीं कराई। जिस कारण स्टेडियम की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है।