चंदन भट्टाचार्य रांची sportsjharkhand.com |
कहीं खंडहर न बन जाएं ये धरोहर भाग – 2
कहीं खंडहर न बन जाएं ये धरोहर सीरीज के तहत हम होटवार स्थित मेगा स्पोर्ट्स कॉम्लेक्स की बदहाली की तस्वीर दिखा रहे हैं। सीरीज की दूसरी कड़ी में हम आपको टिकैत उरांव शूटिंग रेंज की बदहाली से रूबरू करा रहे हैं। शूटिंग रेंज के अंतर्गत तीन रेंज है और तीनों रेंज की हालत खराब है। शुरुआत करते हैं, इस तस्वीर के साथ….
कहते है तस्वीरें कभी झूठ नहीं बोलती और ये तस्वीर काफी कुछ साफ कर दे रही है। तस्वीर बता रही है कि झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (JSSPS) के मेंटेनेंस को भ्रष्टाचार का दीमक चाट रहा है। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस रेंज 1, रेंज 2 और रेंज 3 में बंटे इन स्टेडियमों पर पिछले पांच-छह वर्षों के दौरान करोड़ों रुपये खर्च किए गए लेकिन स्टेडियमों की स्थिति सुधरने की बजाय लगातार खराब ही होती जा रही है। 25 मीटर रेंज में अधिकतर टारगेट को दीमक चाट गया है। बड़े-बड़े घास उग आए हैं। खिलाड़ियों की माने तो बरसात के महीने में इस रेंज के अंदर सांप बिच्छू का भी डर सताता है। JSSPS की लापरवाही के कारण यह तीनों शूटिंग रेंज आज बदहाली का रोना रो रहा है।
रेंज 1 की रिपेयरिंग दो साल पहले ही हुई थी
टिकैत उरांव शूटिंग रेंज 1 में 10 मीटर और 25 मीटर की शूटिंग ट्रेनिंग होती है। इस रेंज में लगभग 25 लाख रुपये की लागत से रिपेयरिंग व रंग रोगन का काम हुआ था। लेकिन तस्वीरें बता रहीं हैं कि रिपेयरिंग से कुछ फायदा नहीं हुआ। जिन लकड़ी के पिलरों पर पेंट की परत चढ़ाई गई थी उनपर दीमकों का राजपाट चल रहा है। रेंज-2 में 50 मीटर और उससे उपर की दूरी से खिलाड़ी निशाना साधते है और यह रेंज राष्ट्रीय खेल आयोजन के बाद से ही बंद पड़ा है। वहीं रेंज- 3 ट्रैप शूटिंग की सारी व्यवस्था है लेकिन इस रेंज में ट्रैप के सारे तकनीकी खेल सामग्री बर्बाद हो चुकी है और वर्तमान में इस परिसर में तीरंदाजी की अकादमी चलाई जा रही है। तीरंदाजी के लायक मैदान को सपाट बनाने के नाम पर भी साझा व JSSPS ने लाखों रुपये खर्च किए हैं रेंज तीन पर।
मेंटेनेंस के अभाव में करोड़ो के इक्विपमेंट्स खराब
अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस स्टेडियम की हालत भी मेंटेनेंस के अभाव में खराब है। 10 मीटर की शूटिंग रेंज में 60 इलेक्ट्रॉनिक टारगेट लगाए गए थे जिनमें से मात्र 16 ही कार्यरत है। इस रेंज के अंदर खिलाड़ी शूटिंग सूट पहनकर अभ्यास करने से कतराते हैं क्योंकि इस हॉल की एसी लंबे अरसे से खराब है। छत का पानी पाइप के जरिए सीधे लॉबी तक आ जाती है, दीवारों में सीपेज है। लेकिन एक दिन के प्लंबर के मेंटेनेंस का काम भी JSSPS कराने में अंसमर्थ है।
और 90 लाख रुपये से होनी है रिपेयरिंग, वर्क ऑर्डर दिया जा चुका है
रेंज 1 और 2 की रिपेरिंग के लिए लगभग दो वर्षों से लगभग 90 लाख रुपये के इक्वीपमेंट की रिपेयरिंग और खरीद को हरी झंडी मिली हुई है लेकिन अभी तक किन कारणों से नहीं खरीदा जा सका है पता नहीं। जानकारी के अनुसार 18 मई 2021 को ही रेंज में तमाम इक्विपमेंट लगाने के लिए वर्क आर्डर भी दिया जा चुका है। लगता है कट में मामला फंसा हुआ है।
CCL को करानी थी रिपेयरिंग
राज्य सरकार और CCL के बीच हुए MoU की शर्तों के अनुसार सारे स्टेडियम की रिपेयरिंग CCL को CSR फंड से करानी थी। इस लिहाज से शूटिंग रेंज की रिपेयरिंग भी CCL को करानी थी लेकिन आज तक नहीं हो पाई। अब जो भी काम हो रहा है वो JSSPS के खर्चे पर हो रहा है जिसमें राज्य सरकार का आधा हिस्सा भी खर्च हो रहा है जबकि पूरा का पूरा खर्च CCL को वहन करना था। सरकार के अधिकारी सो रहे हैं और CCL अपने हिस्से के खर्च से बचता जा रहा है।
25 करोड़ की लागत से बना था रेंज
शूटिंग रेज का निर्माण 2006 से 9 के बीच में लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था इसके अलावा करोड़ों रुपये के तकनीकी इक्वीपमेंट की लगाए गए थे। भारतीय राइफल संघ के तत्कालीन अध्यक्ष व पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह अब स्वर्गीय ने स्वयं खुद की देख रेख में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम का निर्माण कराया था लेकिन दुर्भाग्य की अब ये स्टेडियम धीरे धीरे खंडहर के रूप में तब्दील होता जा रहा है।
जारी रहेगी हमारी ये विशेष पेशकश
कहीं खंडहर न बन जाएं ये धरोहर