खूंटी/रांची टीम sportsjharkhand.com |
खबर के शीर्षक में प्रयुक्त कहावत खूंटी के एस्ट्रो टर्फ स्टेडियम का हाल बखूबी बयां कर रही है। इसी वर्ष 16 जुलाई से एस्ट्रो टर्फ स्टेडियम में नया टर्फ बिछाने के नाम पर पुराना टर्फ हटाने का काम शुरू हुआ। एक सप्ताह में पूराना टर्फ पूरी तरह से हटा दिया गया लेकिन नए टर्फ लगाने का काम आज तक शुरू नहीं हो पाया। टर्फ हटाने के वक़्त निजी कंपनी के दो इंजीनियर हैदराबाद व मुम्बई से आए थे। उन्होंने जिला के हॉकी प्रशासकों व खिलाड़ियों को ये आश्वस्त किया था कि काम रुकेगा नहीं लेकिन टर्फ उखड़वाने के बाद दोनों इंजीनियर गदहे की सींग की तरह गायब हो गए। तीन माह गुजरने को हैं लेकिन नए टर्फ लगाने का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। खिलाड़ी जिस पुराने टर्फ पर प्रैक्टिस करते थे वो रहा नहीं इसलिए अब खिलाड़ी मैदान पर खेलने को विवश हैं।
छह माह में स्टेडियम बनाने की शर्त पर आवंटित हुआ है काम
sportsjharkhand.com को जानकारी मिली है कि मुंबई की Ms. EBACO इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को छह माह में स्टेडियम पूर्ण करने की शर्त पर ही काम आवंटित किया गया है। लेकिन तीन माह गुजर जाने के बाद एस एस +2 उच्च विद्यालय स्थित एस्ट्रो टर्फ स्टेडियम की रिपेयरिंग व रेनोवेशन का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। पता हो कि स्टेडियम में नए टर्फ लगाए जाने की रिपेयरिंग व रेनोवेशन का काम लगभग 4.15 करोड़ रुपये की लागत से होना है।
स्टेडियम के एक कोने की शोभा बढ़ा रहा है “मृत” पड़ा टर्फ
जिस टर्फ पर खेलकर निक्की प्रधान ओलंपियन बनी वो टर्फ स्टेडियम के एक कोने में रोल करके रखे गए हैं। तीन माह पहले तक इसी टर्फ पर ओलंपिक के सपने संजोए दर्ज़नों पांव रोजाना सुबह व शाम धमाचौकड़ी मचाये रखते थे। खिलाड़ियों का साथ छूटने के बाद अब ये टर्फ किसी सरकारी अफसर के लॉन में बैडमिंटन कोर्ट बनने, किसी के छत पर चटाई तो किसी के गराज का पावदान बनने की बाट जोह रहे हैं।
खिलाड़ियों के इंतज़ार में ओपन जिम, झाड़ियां आगोश में लेने को बेताब
एस्ट्रो टर्फ उखाड़े जाने के बाद स्टेडियम परिसर का ओपन जिम भी प्रयोग में नहीं आ रहा। पहले खिलाड़ी अभ्यास के लिए आते थे तो ओपन जिम में वर्जिश भी हो जाती थी। अब खिलाड़ी ही नहीं आते इसलिए झाड़ियों ने ओपन जिम के साथ अपनी दोस्ती बढ़ा ली है।