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दिनांक : 12 सितंबर 2009
समय : दोपहर के 3 बजे
स्थान : मोरहाबादी स्थित राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति (एनजीओसी) का कांफ्रेंस हाॅल
एनजीओसी की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक हो रही थी। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था इसलिए मुख्यमंत्री की जगह बैठक की अध्यक्षता कार्यकारी अध्यक्ष आरके आनंद कर रहे थे। मुख्य सचिव के प्रतिनिधि के तौर पर गृह सचिव जेबी तुबिद, एसएम हाशमी, खेल सचिव आरएस वर्मा, पीसी मिश्रा, मधुकांत पाठक व शिल्पी सक्सेना की गरिमामयी उपस्थिति में एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक जारी थी। बैठक में अन्य विषयों के तहत चर्चा के दौरान ये निर्णय लिया गया कि
Decision is hereby taken that the Working Chairman and Joint Treasurer, NGOC will be included to operate the Bank Account of NGOC in addition to others. In this regard a decision has been taken in the General Body Meeting of NGOC held on 29/08/2009 a resolution should be prepared by Director, NGOC so as to send to Bank. Memorandum of Association registered under the Registrar Society Ac be amended accordingly.
मतलब ये कि एनजीओसी के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने निर्णय लिया कि बैंक अकाउंट के संचालन के लिए पहले से अधिकृत लोगों के अलावा कार्यकारी अध्यक्ष व सहायक कोषाध्यक्ष को भी जोड़ा जाएगा। इस संदर्भ में 29 अगस्त 2009 को एनजीओसी की वार्षिक आम सभा में निर्णय लिया जा चुका है, इसलिए एनजीओसी के निदेशक एक रेजोल्यूशन तैयार करें जिसे बैंक को भेजा जाए। आइजी रजिस्ट्रार के यहां भी जो मेमोरेंडम निबंधित है उसमें में सुधार करवा लिया जाए। निबंधित दस्तावेज के अनुसार पीसी मिश्रा, एसएम हाशमी व मधुकांत पाठक ही बैंक अकाउंट के संचालन के लिए उत्तरदायी थे। आखिर ऐसा क्या जरूरी हो गया था कि ऐसा निर्णय लिया गया ?
क्या पीसी मिश्रा व आरके आनंद में संबंधों की तल्खी थी वजह ?
अगस्त के आखिरी सप्ताह व सितंबर 2009 में एनजीओसी के कार्यकारी अध्यक्ष आरके आनंद व निदेशक पीसी मिश्रा के बीच अज्ञात कारणों से संबंध काफी तल्ख हो गए थे। 29 अगस्त को तो पीसी मिश्रा ने एनजीओसी के निदेशक पद से अपना इस्तीफा भी सौंप दिया था। खैर वो मंजूर नहीं होना था सो नहीं हुआ। इस तल्खी का नतीजा ये हुआ कि सितंबर के आखिरी सप्ताह में होटल कैपिटाॅल हिल कांड के बाद पीसी मिश्रा की विदाई हो गई। पता हो कि एनजीओसी का एकाउंट शुरू से ही पीसी मिश्रा, एसएम हाशमी व मधुकांत पाठक संयुक्त रूप से आपरेट करते हुए आ रहे थे। नवंबर 2009 में प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के निमित्त 12 सितंबर को ही एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने 7 नए टेंडर मार्केटिंग, पंखा, फूड कोर्ट, काॅसेप्ट क्रिएशन, ब्लेजर्स, ब्रांड एम्बेसेडर और मोमेंटो आमंत्रित करने का निर्णय भी लिया था। इसके अलावा वेंडर भी अपने बकाये के भुगतान की मांग कर रहे थे। समाचार पत्रों व टीवी चैनलों में लगातार आयोजन से जुड़ी भ्रष्टाचार की खबरें सुर्खियां बटोर रहीं थीं। ऐसे में क्या पीसी मिश्रा व आरके आनंद के बीच आयी तल्खी के कारण ही कार्यकारी अध्यक्ष आरके आनंद और संयुक्त कोषाध्यक्ष प्रमोद कपूर का नाम बैंक अकाउंट आपरेट करनेवालों की श्रेणी में जोड़ा गया ?
या वेंडरों के बकाये भुगतान के लिए लिया गया था ये निर्णय ?
11 अक्टूबर 2011 को एनजीओसी की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक में आयोजन सचिव सह विभागीय सचिव आरएस वर्मा के विरोध के बावजूद एजेंडा नंबर 6 के अनुसार ये फैसला लिया गया कि
It was decided that upto the extent of 50% the payment can be made to the Vendors and rest 50% may be released after the price verification.
मतलब ये निर्णय हुआ कि 50 प्रतिशत बकाये की राशि का भुगतान किया जा सकता है और बाकि बचे 50 प्रतिशत का भुगतान प्राइस वेरिफिकेशन के बाद किया जाएगा।
इस निर्णय पर आरएस वर्मा व निदेशक एस एन प्रधान (पीसी मिश्रा हटाए जा चुके थे) ने खेल सामग्रियों के वेंडर के बकाये भुगतान के किसी भी चेक पर अपने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इसके बाद 12 सितंबर को लिए गए निर्णय में थोड़ा बदलाव करते हुए संयुक्त कोषाध्यक्ष को बैंक अकाउंट आपरेट करनेवालों में शामिल किया गया और उपरोक्त निर्णय लिया गया।
पता हो कि 5 व 6 अक्टूबर 2009 को टेंडर कमिटी की बैठक में भाग लेने से आरएस वर्मा व एसएन प्रधान ने साफ मना कर दिया था, इसके बावजूद आरके आनंद ने जेओए/एनजीओसी के कुछ पदाधिकारियों को जोड़कर नई कमिटी बनाई और सिनेयुग को इवेंट मैनेजमेंट का काम एलाॅट कर दिया था। ये विधि सम्मत नहीं था संभवतः इसीलिए 11 अक्टूबर को हुई बैठक में आरएस वर्मा और एसएन प्रधान ने चेक पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था।
प्रत्येक रविवार व गुरुवार को जारी रहेगी हमारी ये विशेष श्रृंखला अगले गुरुवार को पढ़िएकहीं पे निगाहें… कहीं पे निशाना – भाग 11 सिर्फ और सिर्फ यहीं sportsjharkhand.com पर |