रांची
टीम sportsjharkhand.com |
झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसाइटी (JSSPS) की गर्ल कैडेट अंजली उरांव का उचित इलाज के अभाव में निधन हो गया। निधन के बाद व्यवस्था में चूक और अन्य पहलुओं की जांच के लिए दो कमिटियां गठित की गई हैं। आश्चर्य की बात ये है कि कमिटियां उन अधिकारियों ने गठित की हैं, जिनपर कैडेट्स के बेहतर इलाज की जिम्मेवारी थी। फिर जिसकी जिम्मेवारी थी उसने ही जांच कमिटी क्यों बना दी ? समझना ज्यादा कठिन नहीं है।
प्राकृतिक न्याय का एक मूल सिद्धांत है
“NO ONE CAN BE A JUDGE IN HIS OWN CASE”
मतलब कोई कोई भी व्यक्ति अपने ही बाद का जज नहीं हो सकता।
फिर JSSPS की गवर्निंग काउंसिल के सचिव निदेशक कार्मिक एच एन मिश्रा और JSSPS की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की सदस्या खेल निदेशक सरोजनी लकड़ा ने जांच कमिटी क्यों बनाई ?
ये हास्यास्पद स्थिति है कि कैसे जिम्मेवार लोग जिम्मेवारी लेने की बजाय “फुटास की गोली” ढूंढने लगते हैं। जो स्वयं जांच की जद में हों उसके बावजूद वही लोग जब जांच कमिटी बनाने लगें तो, शायर सुदर्शन फाकिर का शेर याद आना लाजिमी है…
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है
क्या मिरे हक़ में फ़ैसला देगा