रांची
टीम sportsjharkhand.com |
झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसाइटी (JSSPS) की लोकल मैनेजमेंट कमिटी के CEO सफेद झूठ बोल रहे हैं कि कैडेट्स के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गई। दरअसल कैडेट्स के इलाज में खामियां तो पिछले 3 वर्षों से बरती जा रही थी लेकिन अंजली उरांव की मौत के बाद ये खामियां अब साफ साफ नजर आने लगी हैं। कोविड महामारी के कुछ वक्त पहले तक JSSPS में कैडेट्स के इलाज के लिए नियमित तौर पर डॉक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट बैठते थे। अभ्यास के दौरान घायल व बीमार बच्चों का इलाज JSSPS कैंपस में ही किया जाता था। कैडेट्स को जब मशीनी जांच की जरूरत पड़ती थी तभी वे गांधीनगर या अन्य अस्पताल जाते थे अन्यथा उनका इलाज JSSPS कैंपस में ही हो जाता था। कोविड आने से ऐन पहले पता नहीं किसके कहने पर डॉक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट को वापस गांधीनगर अस्पताल बुला लिया गया। इसके बाद डॉक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट कभी दोबारा नहीं लौटे। फिर कैडेट्स का इलाज “गूगल डॉक्टर” बलमादीना तिग्गा के हवाले हो गया।
किसके आदेश पर हटाए गए डॉक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट ?
JSSPS में डॉक्टर मयूरी भट्टाचार्य और फिजियोथैरेपिस्ट गायत्री की पदस्थापना की गई थी। दोनों ने लगभग दो साल तक कैडेट्स की सेवा की लेकिन CCL में बैठे अधिकारियों को ये रास नहीं आया और डॉक्टर मयूरी भट्टाचार्य और फिजियोथैरेपिस्ट गायत्री का ट्रांसफर वापस गांधीनगर अस्पताल कर दिया गया।