रांची |
गुरुवार के समाचार पत्रों में खेल निदेशालय ने विज्ञापन के माध्यम से “बियाह के समय कोंहड़ा रोपने” की मुनादी कर दी है। अखबारों में प्रकाशित अति अल्पकालीन निविदा आमंत्रण सूचना में बताया गया है कि “37वें राष्ट्रीय खेलों में भागीदारी हेतु चयनित झारखंड के खिलाड़ियों के प्रशिक्षण शिविर के लिए जरूरी खेल सामग्रियों (तीरंदाजी, फुटबॉल, कबड्डी, मलखंब, रॉल बॉल, सेपक टकरा, वूशु) के लिए निविदा आमंत्रित की जाती है।” पता हो कि 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 25 अक्टूबर से 9 नवंबर तक गोवा में होना है। इसके लिए खेल निदेशालय चयनित खिलाड़ियों के लिए 1 अक्टूबर से प्रशिक्षण शिविर लगाने की तैयारी में जुटा है। इसी प्रशिक्षण शिविर के लिए जरूरी खेल सामग्रियों के लिए कुल छह निविदा 6 अक्टूबर तक आमंत्रित की गई है।


निविदा 6 अक्टूबर तक मंगाई गई है और प्रशिक्षण शिविर 1 अक्टूबर से
राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के लिए जरूरी खेल सामग्रियों के लिए निविदा डालने की आखिरी तारीख 6 अक्टूबर मुकर्रर है। तय नियमों के अनुसार इसके बाद निविदा समिति खेल सामग्रियों की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी फिर फाइनेंशियल बीड खुलेगा, फिर वर्क ऑर्डर दिया जाएगा तब जाकर खेल सामग्रियों की आपूर्ति हो पाएगी। संभव है की इस प्रक्रिया में 15-20 दिन लग जाएं। जबकि खिलाड़ियों का प्रशिक्षण शिविर 1 अक्टूबर से आयोजित किया जाना है। ऐसे में बगैर खेल सामग्रियों के 1 अक्टूबर से प्रशिक्षण कैसे संभव होगा ? और अगर बगैर खेल सामग्रियों के प्रशिक्षण संभव है तो फिर इन खेल सामग्रियों की खरीदारी के लिए टेंडर क्यों आमंत्रित किए गए हैं ?
जुलाई माह में तय हुआ था की कैंप लगेगा, अब तक क्यों सोता रहा निदेशालय
जुलाई माह में ही निदेशालय ने अपनी पसंद के खेल संघों के साथ बैठक कर राष्ट्रीय खेल से पहले प्रशिक्षण शिविर लगाने का निर्णय लिया था। निर्णय के अनुसार 3 चरणों में कैंप लगाया जाना था। फिर भी ससमय जरूरी (अगर जरूरी है तो) खेल सामग्रियों की खरीदारी क्यों नहीं की गई ? का बरसा जब कृषि सुखानी !
गुजरात राष्ट्रीय खेल में झारखंड ने 3 स्वर्ण पदकों समेत मात्र 13 पदक जीते थे
ऐसी ही परिस्थितियों में झारखंड ने गुजरात के राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया था। गुजरात में आयोजित 36वें राष्ट्रीय खेलों में झारखंड के 222 सदस्यीय भारी भरकम दल ने 16 खेलों में भाग लिया था और 3 स्वर्ण, 5 रजत और 5 कांस्य पदक जीतने में कामयाबी हासिल की थी। झारखंड के खिलाड़ी सिर्फ और सिर्फ तीरंदाजी, लॉन बॉल, एथलेटिक्स, वूशु और रोइंग में ही पदक जीतने में कामयाब रहे थे। हॉकी समेत 11 खेलों में झारखंड की झोली खाली रही थी। ये झारखंड का दो दशकों में सबसे खराब प्रदर्शन था।