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भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद कांस्य पदक जीत पोडियम पर खड़े होने का गौरव हासिल किया। भारत ने हॉकी में आखिरी बार 1980 में पदक जीता था, जिसका रंग सुनहरा था। खेल के दौरान कुछ संयोग बहुत ही सुखद होते हैं, ऐसा ही एक अद्भुत संयोग टोक्यो, ओलंपिक, गुरुवार व भारत से जुड़ा है।
भारतीय हॉकी टीम जब भी टोक्यो में ओलंपिक खेलने गई है निराशा हाथ नहीं लगी है और दिन गुरुवार को हो तो पदक की गारंटी है। 1964 टोक्यो ओलंपिक में फाइनल मुकाबला गुरुवार 22 अक्टूबर 1964 को खेला गया। भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। 57 साल बाद गुरुवार 5 अगस्त 2021 को भारत ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक पर कब्ज़ा जमाया। यही नहीं 31 जुलाई 1980 को जब भारत ने ओलंपिक हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था तब भी दिन गुरुवार का ही था।
भारत, हॉकी, गुरुवार, टोक्यो व ओलंपिक का संयोग
गुरुवार 22 अक्टूबर 1964 टोक्यो = स्वर्ण पदक
गुरुवार 31 जुलाई 1980 मॉस्को = स्वर्ण पदक
गुरुवार 5 अगस्त 2021 टोक्यो = कांस्य पदक
49 साल बाद भारत के हिस्से आए कांस्य पदक का झारखंड कनेक्शन
ओलंपिक में भारत के हिस्से 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद दोबारा कांस्य पदक आया है। 1972 की कांस्य पदक विजेता टीम में झारखंड (तत्कालीन बिहार) में जन्मे माइकल किंडो की मौजूदगी थी। ये अलग बात रही की माइकल किंडो कभी भी बिहार के लिए हॉकी नहीं खेले। 2021 की टीम में ओडिसा में जन्मे बीरेंद्र लाकड़ा शामिल हैं जो अपवाद के तौर पर एक-दो बार झारखंड के लिए खेल चुके हैं। बीरेंद्र मूलतः ओडिसा में रहते हैं। माइकल किंडो झारखण्ड में जन्मे लेकिन खेले सेना की टीम से और रिटायरमेंट के बाद राउरकेला में बस गए। कुछ माह पहले ही उनका निधन हुआ है।