रांची |
ई झारखंड हऊ बाबा ! झारखंड निर्माण के 20 साल के बाद 8 अक्टूबर 2020 को राज्य में पहली बार जिला खेल पदाधिकारियों (DSO) की नियुक्ति हुई। कोविड काल के दौरान नियुक्ति तो हो गई लेकिन 20 DSO का प्रशिक्षण आज तक नहीं हो पाया। जिला में कार्य के दौरान आ रही दिक्कतों से दो-चार हो रहे DSO सरकार से प्रशिक्षण की आस में बैठे थे कि तबादला का आदेश आ गया। 16 DSO का तबादला किया गया है जबकि 4 DSO को मंत्री व उपायुक्तों से मधुर संबंध के एवज में अभयदान दिया गया है। आम तौर पर अधिकारियों का तबादला प्रत्येक तीन साल के अंतराल पर होता है लेकिन 16 DSO के “ड्रॉ पदस्थापना” की उम्र आधी ही रह गई।
इन जिलों के DSO का हुआ तबादला
रांची, सिमडेगा, धनबाद, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, दुमका, देवघर, पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज, सरायकेला-खरसावां, जामताड़ा व पूर्वी सिंहभूम
इन जिलों के DSO को मिला अभयदान
पलामू, लातेहार, गुमला व बोकारो इनमें से पलामू DSO को गढ़वा व लातेहार DSO को लोहरदगा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
जनवरी से ही ट्रांसफर की थी सुगबुगाहट
जनवरी माह से ही DSO के ट्रांसफर की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। रांची से लेकर मधुपुर तक DSO दौड़ शुरू हो गई थी। कोई खूंटी का अतिरिक्त प्रभार लेने के लिए मेहनत में जुटा था (सफलता नहीं मिली) तो कोई जिले में मिल रहे अतिरिक्त ‘नजारत’ (सफलता मिली) को बचाने में अपनी ऊर्जा खपा रहा था। एक बात काबिलेतारीफ रही कि जो सूची जनवरी में तय हुई थी मुहर उसी सूची पर लगी है। कोई हेर-फेर नहीं हुआ।
प्रशिक्षण के नाम पर दो दिन का क्रैश कोर्स प्राप्त हैं सभी DSO
सभी DSO को प्रशिक्षण के नाम पर खेल निदेशालय की ओर से दो दिन का क्रैश कोर्स कराया गया था। इसमें लंच-स्नैक्स के साथ राष्ट्रीय खेल घोटाले के आरोपियों से प्राप्त ज्ञानोपार्जन भी शामिल था। साथ में JSSPS के “कोयला विशेषज्ञों'” ने प्रशिक्षण के दौरान “आईसिंग ऑन केक” की प्रक्रिया सम्पन्न किया था।