झारखंड सरकार द्वारा नेकनीयती के साथ शुरू की गई खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति प्रक्रिया को खेल निदेशालय के काबिल अफसरों ने विवादों में ला खड़ा किया है। निदेशालय ने एक ऐसे खिलाड़ी का नाम सीधी नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमिटी के पास भेजा जो 2008-9 में ही दस्तावेजों में जालसाजी के आरोप में झारखंड पुलिस द्वारा बर्खास्त की जा चुकी है। इस खिलाड़ी का नाम है संगीता खलखो, वही संगीता खलखो जिसने 2001 व 2002 के राष्ट्रीय खेलों में मुक्केबाजी स्पर्धा में झारखंड के लिए पदक जीता था। लेकिन दस्तावेजों के मकड़जाल में उलझ संगीता ने बिलो द बेल्ट पंच लगा खुद को लगभग डिस्क्वालीफाई करा दिया है।
खेल निदेशालय ने 22 दिसम्बर 2019 को प्रकाशित विज्ञापन संख्या PR237985 द्वारा दूसरे दौर के लिए जिन 19 खिलाड़ियों को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए आमंत्रित किया था, उसमें संगीता खलखो का नाम नहीं था, न ही संगीता खलखो खुद पहुंची। लेकिन खेल निदेशालय द्वारा नियुक्ति 40 खिलाड़ियों की जो सूची जारी की उसमें अप्रत्याशित रूप से संगीता का नाम शामिल था। फिर भी संगीता खलखो को नौकरी देने की इतनी जल्दबाजी में क्यों रहा निदेशालय ? sportsjharkhand.com ने जब मामले की पड़ताल की तो सामने आई कड़वी सच्चाईयां खेल निदेशालय की मुंह पर कालिख पोतती हुई नजर आ रही है।
कई नाम व कई जन्मतिथियों की स्वामिनी हैं संगीता
sportsjharkhand.com ने जब पड़ताल शुरू की तो पता चला की संगीता खलखो एक नहीं कई नाम व जन्मतिथियों की स्वामिनी हैं। राशन कार्ड बनवाने के लिए दिए गए एक हस्तलिखित दस्तावेज़ में 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी संगीता की जन्मतिथि 17 जून 1969 बताई गई है। 22 जनवरी 1987 को स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा जारी शपथ पत्र में स्कूल के दस्तावेजों के अनुसार संगीता की जन्मतिथि 31-12-1972 दर्ज़ है (देखें तस्वीर)। इस दस्तावेज पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर भी हैं। और अब सीधी नियुक्ति के लिए जमा किये गए आवेदन में संगीता ने अपनी जन्मतिथि 02-12-1980 बताई है। यही नहीं कई दस्तावेजों में उनका नाम संगीता खलखो दर्ज़ है जबकि कई दस्तावेजों में उनका नाम संगीता खान के रूप में दर्ज़ है। पता हो कि संगीता खलखो ने 1993 में अब्दुल शमीम खान से शादी की थी, जिसके बाद कई दस्तावेजों में उनका नाम संगीता खान के रूप में दर्ज़ है।
संगीता के सामने महाभारतकालीन अभिमन्यु भी पिछड़े, गर्भ में आने के पहले से ही शिक्षा ग्रहण कर रही थी संगीता !
सीधी नियुक्ति के लिए जमा किए गए दस्तावेज़ में संगीता की उम्र 02-12-1980 दर्ज़ है और 22-01-1987 को आदिवासी उच्च विद्यालय, सीतारामडेरा, जमशेदपुर, पूर्वी सिंहभूम द्वारा दिया गया शपथ पत्र के अनुसार संगीता 1987 में वर्ग 9 की छात्रा थी। संगीता आदिवासी उच्च विद्यालय की कक्षा 9 A की छात्रा थी और उनका रॉल नंबर 36 था। मतलब ये कि संगीता जन्म के दो साल पहले से ही पढ़ाई कर रही थीं और 7 साल की उम्र में कक्षा 9 में पढ़ रही थी ! इस ख़ास योग्यता के साथ संगीता ने महाभारतकालीन शूरवीर अभिमन्यु को भी पछाड़ दिया !
वास्तविक दस्तावेज़ दिए होते तो शायद नौकरी पक्की होती
संगीता खलखो उर्फ संगीत खान ने अगर शिक्षा, जाति व जन्मतिथि से जुड़े वास्तविक दस्तावेज भी जमा कराए होते तो नौकरी पक्की थी। क्योंकि अनुशंसा समिति ने कई खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति के लिए वांछित शैक्षणिक, उम्र आदि के मसले पर नियमों को क्षांत कर दिया। लेकिन संगीता ने गलती कर दी और उसके द्वारा जमा कराए गए दस्तावेज़ ही उसकी नौकरी के आड़े आते हुए दिख रहे हैं।
निदेशालय के अधिकारियों ने थामी चुप्पी
इस विषय पर निदेशालय के अधिकारियों का पक्ष जानने गुरुवार को जब हमारी टीम निदेशालय पहुंची तो गेट पर ताला लगा था और बताया गया कि बाहरी लोगों का प्रवेश बंद है। विरोध दर्ज कराने के बाद किसी तरह अंदर जाने पर पता चला कि निदेशक महोदय नदारद हैं और कनीय अधिकारियों ने इस मुद्दे पर अपने मुंह पर जाबी लगा रखी। दरअसल 29 दिसंबर को खिलाड़ियों के घेराव से नाराज़ निदेशक महोदय ने कनीय अधिकारियों व सुरक्षा प्रहरियों को ये मौखिक निर्देश दिया है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति इस परिसर में न आने पाए। अब निदेशक महोदय को कौन समझाए की कर्मों-कुकर्मों के फलों की खुशबू खुद बाहर तैर कर आ जाती है, उसके लिए गेट पर लगे ताले कोई मायने नहीं रखते।