रांची sportsjharkhand.com टीम |
झारखण्ड, खेल, विवाद व भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ है। भ्रष्टाचार का ताज़ा मामला मुख्यमंत्री आमंत्रण कप फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए खरीदी गई करोड़ों रुपये की फुटबॉल जर्सी से जुड़ा हुआ है। खेल निदेशालय ने राज्य के 4402 पंचायतों में सभी फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए जर्सी खरीदी। जिला स्तर पर प्रतियोगिता के आयोजन के बाद जब जर्सी जिला खेल पदाधिकारियों तक पहुंचीं तो जर्सी की क्वालिटी पर सवाल उठने लगे। कई जिलों में पंचायत स्तर पर खिलाड़ियों ने दोयम दर्जे की जर्सी लेने से इनकार कर दिया। इसी बीच 27 दिसंबर को प्रतियोगिता का समापन भी हो गया लेकिन हज़ारों जर्सियाँ सरकार के गोदाम में ही पड़ीं हुई हैं।
सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने में जुटे खेल निदेशालय के काबिल अधिकारी
प्रतियोगिता के समापन के बाद खेल निदेशालय के काबिल अधिकारियों ने अपनी कारगुजारियों को छुपाने के लिए जांच की हु…तू…तू… खेलने का नाटक शुरू कर दिया है। एक सप्ताह पहले निदेशालय की ओर से झारक्राफ्ट (उद्योग विभाग की एक इकाई) को पत्र लिखकर फुटबॉल की जर्सी के फैब्रिक की जांच करने को कहा। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए झारक्राफ्ट ने लैब नहीं होने का बहाना बनाकर इस मामले से खुद को अलग कर लिया।
“झारक्राफ्ट ने लैब न होने के कारण जर्सी के फैब्रिक की जांच करने से इनकार कर दिया है। अब निदेशक महोदय जैसा कहेंगे वैसी अग्रतर कार्रवाई की जाएगी।”
विनय कुमार मिश्रा उपनिदेशक, खेल निदेशालय |
उपनिदेशक महोदय आधी-अधूरी जानकारी दे रहे हैं लेकिन sportsjharkhand.com को पुख्ता जानकारी मिली है कि खेल निदेशालय की ओर से दिल्ली के एक निजी लैब मेसर्स एरोमा लेब्रोटरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जर्सी के फैब्रिक की जांच करने का आग्रह पत्र भेजा गया है।
निदेशालय ने 70% कॉटन व 30% पॉलीस्टर की जर्सी मंगाई, वेंडर ने 80% से ज्यादा पॉलीस्टर की जर्सी सप्लाई की
निदेशालय ने टेंडर के जरिये 70% कॉटन व 30% पॉलीस्टर के मिश्रण वाली 240 GSM की जर्सी मंगाई थी। वेंडर ने जो सैंपल भेजा था उसकी क्वालिटी तो सही थी लेकिन जो जर्सी जिला में बांटने के लिए भेजी गई वो निम्नतर क्वालिटी की है। खेल सामग्रियों के जानकार बताते हैं कि 80% से ज्यादा पॉलीस्टर से बनी जर्सी सप्लाई की गई है। जर्सी ऐसी है कि महिला खिलाड़ी इसे पहनकर खेलने में काफी असहज महसूस करेंगी।
कोयला व दारू के व्यवसाय में जुटे लोगों की कंपनियों को मिला था खेल से जुड़े जर्सी का टेंडर
खेल निदेशालय द्वारा मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता व सहाय योजना के लिए टी शर्ट व जर्सी के लिए टेंडर निकाला। टेंडर में कोयला व दारू व्यवसायियों को काम मिले इसलिए छल प्रपंच रचा गया। खेल मंत्री के सहोदर भाई के इशारे पर MSME कंपनियों को EMD से छूट के बावजूद EMD न होने को आधार बना तकनीकी रूप से बाहर कर दिया गया और काम कोयला व दारू के विशेषज्ञों को जर्सी की सप्लाई का ठेका मिल गया।
जिला से टीम लिस्ट मंगाए बगैर निदेशालय ने अंदाज़ पर खरीद ली जर्सियाँ
निदेशालय के काबिल अधिकारियों ने जिला से मुख्यमंत्री आमंत्रण कप प्रतियोगिता में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों की जानकारी मांगे बगैर ही अंदाज़ पर सभी पंचायत की महिला व पुरुष टीमों के लिए मनमाफिक साइज की जर्सियाँ खरीद लीं। बताने की ज़रूरत नहीं कि ऐसा क्यों किया गया ? अब स्थिति ये है कि ज्यादातर जिलों में DSO के विवेक पर जर्सियां गोदाम में पड़ी हैं या अयोग्य लोगों तक पहुंच गई हैं।
सहाय योजना के लिए खरीदे गए टी शर्ट व जर्सी भी जांच के दायरे में
sportsjharkhand.com को जानकारी मिली है कि हेमंत सरकार की बहुप्रचारित ‘सहाय’ योजना के लिए भी जो करोड़ों रुपये की टी शर्ट व जर्सी खरीदी गई है, वो भी घटिया दर्जे की है। निदेशालय सहाय योजना के लिए खरीदी गई टी शर्ट व जर्सी को भी जांच के लिए निजी लैब में भेजा जा रहा है।