रांची
टीम sportsjharkhand.com |
भाटिया एथलेटिक्स अकादमी की प्रशिक्षु व अंतरराष्ट्रीय एथलिट फ्लोरेंस बारला को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर ने वाणिज्य एवं टिकिट चेकिंग क्लर्क की नौकरी दी है। 31 जनवरी को हुए ट्रायल में 53.72 अंक के साथ फ्लोरेंस ने टॉप किया था। कार्मिक विभाग मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय ने फ्लोरेंस को सोमवार को मेडिकल टेस्ट व ज्वाइनिंग के लिए बिलासपुर बुलाया है। वर्तमान में फ्लोरेंस भाटिया एथलेटिक्स की प्रशिक्षु हैं और वहीं पर पिछले तीन वर्षों से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। फ्लोरेंस को नौकरी मिलने पर भाटिया एथलेटिक्स अकादमी में खुशी की लहर है। फ्लोरेंस अकादमी की पहली प्रशिक्षु हैं, जिन्हें खेल कोटे से नौकरी मिली है।
शानदार प्रदर्शन रहा है फ्लोरेंस का
फ्लोरेंस ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 200 और 400 मीटर दौड़ में दर्जनों पदक जीते हैं। कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं।
2018 में धर्मशाला में आयोजित पहले ओपन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
2018 में पटना में आयोजित 30वें पूर्वी क्षेत्र एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक
2018 में रांची में आयोजित 34वें जूनियर एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक
2019 में पुणे में आयोजित इंडिया यूथ गेम्स में रजत पदक
2019 में लखनऊ में आयोजित 400 मीटर ओपन में स्वर्ण पदक
2019 में कजाकिस्तान में आयोजित यूरेशिन चैंपियनशिप में दोहरा स्वर्ण पदक
2019 में 31वें पूर्वी क्षेत्र प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक
2019 में तमिलनाडू में आयोजित फेडरेशन कप में रजत पदक
2021 भुवनेश्वर में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ट्रायल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल
आपको बताते चलें कि झारखंड की फ्लोरेंस बारला जैसे-जैसे इन उपलब्धियों को हासिल करती रही, उनके चर्चे देश और राज्य भर में होने लगा। जाहिर सी बात है वह कैसे रहती हैं उनकी घर की माली हालत कैसी है, इन पर भी सवाल उठने लगे। फ्लोरेंस की घर की माली हालत काफी खराब है। इसके बावजूद फ्लोरेंस ने यह मुकाम हासिल किया। नेशनल एथलीट फ्लोरेंस बारला के घर में शौचालय और बिजली तक की व्यवस्था नहीं थी। बरसात के दिन में घर की छत से पानी टपकता था। यहां तक कि राशन कार्ड में फ्लोरेंस का नाम तक नहीं चढ़ा था। मां दूसरों के घर में और दूसरों के खेतों में मजदूरी कर पूरे परिवार का भरण पोषण कर रही है।
चार बहनों में दो बहने अंतरराष्ट्रीय एथलीट
फ्लोरेंस बारला और आशा किरण बारला दोनों बहने अंतरराष्ट्रीय एथलीट है और दो छोटी बहने पढ़ाई कर रही है। एक भाई है वह भी दूसरों के खेतों में काम करते हैं। पिता बिलियम बारला का निधन 2011 में हो ही चुका है। माँ रोजिला एन्ड ने काफी मुश्किलों से अपने बच्चों को पाला और इस मुकाम तक ले आईं।
गुमला कामडारा की रहने वाली
गुमला कामडारा प्रखंड, नावाडीह गांव की रहने वाली दोनों बहने फिलहाल भाटिया एथलेटिक्स अकादमी में पिछले 3 वर्षों से प्रशिक्षण ले रहीं हैं। इन दोनों बहनों को भाटिया एथलेटिक्स प्रशिक्षण केंद्र में निशुल्क प्रशिक्षण के साथ-साथ खानपान और आवासीय व्यवस्था भी मुहैया कराई जा रही है। दोनों बहने बोकारो थर्मल स्थित भाटिया अकादमी में रहकर फिलहाल ट्रेनिंग ले रहीं हैं। भाटिया एथलेटिक्स अकादमी के कोच आशु भाटिया ने फ्लोरेंस के इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है। कई खेल संघो और एथलेटिक्स के प्रशिक्षकों ने फ्लोरेंस की रेलवे में नियुक्ति होने पर बधाई दी है, उनके कोच की माने तो काफी संघर्ष के बाद उनके परिवार को यह सरकारी नौकरी मिली है। जो इस परिवार की आर्थिक स्थिति में बदलाव के लिए काफी जरूरी है।