रांची/बोकारो |
झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (JSCA) अपने कुकर्मी पदाधिकारियों/सदस्यों को बचाने के लिए कुख्यात रहा है। अमिताभ चौधरी के निधन के बाद आशा थी कि JSCA के कुकर्मियों के खिलाफ नए मामले आने पर कार्रवाई की जाएगी लेकिन शनिवार को कमिटी ऑफ मैनेजमेंट ने पैसे लेकर खिलाड़ियों को टीम में जगह दिलाने के आरोपी JSCA के संयुक्त सचिव पीएन सिंह को क्लीन चिट दे दी।
दो छोटे प्यादों पर कार्रवाई करने का निर्णय भी ले लिया गया लेकिन बोकारो के मुख्यालय DSP कुलदीप की सुपरविजन रिपोर्ट ने JSCA के मंसूबे पर पानी फेर दिया है। मुख्यालय DSP ने हरला थाना कांड संख्या 19/2023 के सुपरविजन रिपोर्ट में पीएन सिंह के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को सही पाया है। DSP की रिपोर्ट के बाद पीएन सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं और वे पिछले दो दिनों से कचहरी व वकीलों का चक्कर लगाते हुए देखे जा रहे हैं। पीएन सिंह को बचाने के लिए JSCA में रविवार की शाम एक अनौपचारिक बैठक भी हुई लेकिन पीएन सिंह के कुकर्मों की लंबी फेहरिस्त देख कोई मदद करने को आगे आता हुआ नहीं दिख रहा है। दूसरी ओर मंगलवार को बोकारो SP के तबादले ने पीएन सिंह के लिए कोढ़ में खुजली का काम किया है। JSCA के एक लाइफ मेंबर IPS के करीबी बोकारो के निवर्तमान SP के रहने से पीएन सिंह को काफी आशा थी कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। अब ये आसरा भी जाता रहा।
JSCA की खुली पोल
कुकर्मियों को बचाने के मामले में JSCA की पोल पूरी तरह खुल गई है। JSCA ने जिसे क्लीन चिट दी उसे DSP ने अपने सुपरविजन रिपोर्ट में दोषी पाया है। नैतिक तौर पर JSCA की कमिटी ऑफ मैनेजमेंट को इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन आका द्वारा “मनोनित” किए गए पदाधिकारियों में इतना नैतिक बल कहां !
क्या है पूरा मामला ?
देवरिया यूपी के अंशुमन सिंह ने 31 जनवरी 2023 को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 406, 420 व 465 के तहत हरला थाने में FIR संख्या 19/2023 दर्ज कराया। FIR में ये आरोप लगाया गया था कि टीम में जगह दिलाने के नाम पर बोकारो जिला क्रिकेट संघ (BDCA) के संयुक्त सचिव संतोष कुमार ने JSCA के संयुक्त सचिव पीएन सिंह के लिए लाखों रुपए लिए। इसके एवज में कुछ फर्जी दस्तावेज बनाए गए लेकिन पैसा लेने के बावजूद टीम में जगह नहीं दी गई और ढाई लाख रुपए की नई मांग रख दी गई। जब अंशुमन ने अपना पैसा मांगा तो टाला जाने लगा और आरोपियों ने कई लोगों से धमकियां भी दिलाई।