रांची |
पिछले चार माह के अंदर खेलकूद एवं युवा कार्य निदेशालय को एक-एक करके कई महत्वपूर्ण कार्यों से मरहूम कर दिया गया। शुरुआत 27 मार्च 2023 को झारखंड कैबिनेट की बैठक में लिए गए एक फैसले से हुई। कैबिनेट ने निर्णय लिया की राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) अब खेलकूद एवं युवा कार्य निदेशालय से लेकर शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सौंपी जाती है। NCC के साथ राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) को सौंपने की तैयारी थी लेकिन NSS कॉलेज स्तर पर चलनेवाली योजना थी इसलिए कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी। इसके बाद जून के माह में स्कूली स्तर पर आयोजित होनेवाली स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) के आयोजनों से भी खेल निदेशालय को हाथ धोना पड़ा और लाभान्वित होनेवाला विभाग एक बार फिर शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ही रहा।
इसके बाद मंगलवार को खबर आई की अब देश में स्कूल स्तर पर आयोजित होनेवाली सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल प्रतियोगिता सुब्रतो कप के आयोजन से भी खेलकूद एवं युवा कार्य निदेशालय को चलता कर दिया गया है। आश्चर्य की इस बार भी लाभान्वित होनेवाला विभाग शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ही रहा।
पिछले चार माह में कई महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों से विमुक्त कर दिए जाने के बाद अब खेल निदेशालय के पास आवासीय व डे बोर्डिंग सेंटर के अलावा मुख्यमंत्री आमंत्रण कप फुटबॉल, सहाय योजना व NSS का काम ही प्रमुख रूप से बच गया है। इसमें भी आवासीय व ज्यादातर डे बोर्डिंग सेंटर शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में ही चल रहा है।
निदेशालय नहीं चेता तो नेहरू कप हॉकी और भारत स्काउट और गाइड से भी जल्द हाथ धोना पड़ेगा
खेलकूद एवं युवा कार्य निदेशालय अगर अपनी गलतियों से नहीं चेता तो आनेवाले दिनों में उसे नेहरू कप हॉकी प्रतियोगिता के आयोजन से भी हाथ धोना पड़ेगा। यही नहीं स्कूल स्तर पर युवाओं के लिए चलने वाला भारत स्काउट और गाइड कार्यक्रम भी बहुत जल्द ही शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के जिम्मे हो जाएगा। sportsjharkhand.com को जानकारी मिली है कि नेहरू कप हॉकी प्रतियोगिता के आयोजन के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की 64वीं राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्य सचिव ने सहमति दे दी है।
खेलो झारखंड 2022 व SGFI ट्रायल्स के आयोजन में खेल निदेशालय का अपेक्षाकृत सहयोग न मिलने से बिगड़ा मामला
पिछले वर्ष झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा राज्य भर के 35438 स्कूलों में “खेलो झारखंड” प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस आयोजन में खेल निदेशालय का अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिला। इसके बावजूद खेल संघों के सहयोग से प्रतियोगिता का आयोजन सफल रहा लेकिन एक दूसरे के प्रति कड़वाहट बढ़ गई। SGFI ट्रायल्स के दौरान खेल सामग्री व यूजर पासवर्ड ससमय उपलब्ध न कराने के बाद कड़वाहट और बढ़ गई। फिर 14 जुलाई को दिल्ली में SGFI की बैठक में खेल निदेशालय और शिक्षा विभाग एक दूसरे को नीचा दिखाने में व्यस्त रहे। कड़वाहट का नतीजा ये रहा कि अब स्कूल स्तर पर होनेवाले आयोजनों पर शिक्षा विभाग ने दावा ठोक दिया है।
“खेल निदेशालय को अब शिक्षा विभाग में मिला दिया जाना चाहिए।”
अनिल कुमार सिंह IAS (रि.), पूर्व खेल निदेशक |