sportsjharkhand.com टीम
रांची
हैडलाइन पढ़कर आपको लग रहा होगा कि कहावत में कोई केमिकल लोचा हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं है। सच मानिए ये कहावत झारखण्ड में खेल प्रशासन की कड़वी और स्याह सच्चाई को सही ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए सामयिक और उपयुक्त भी है। खेल, खिलाड़ी और खिलवाड़ को जानना-समझना हो तो चले आईये झारखण्ड, आप निराश नहीं होंगे ! आपको विश्वास हो ना हो लेकिन नज़रे इनायत कीजिये ! क्या पहलवानी का प्रशिक्षक हॉकी, एथलीटों का प्रशिक्षक तैराकी, क्रिकेट का प्रशिक्षक टीटी और वॉलीबॉल का प्रशिक्षक जिम्नास्टिक का कर्ता-धर्ता हो सकता है ? आपका जवाब ना होगा ! लेकिन ये झारखण्ड के खेल प्रशासन के स्याह इतिहास और वर्तमान के मात्र एक-दो पन्नों की तस्वीर है। परेशान ना हों मुस्कुराईये कि आप झारखण्ड में हैं कि ऐसे विभूतियों से आपका पाला पड़ा है।
15 साल की मेहनत के बाद भी कुश्ती में भाड़े के खिलाड़ियों की बदौलत पदक तालिका में जगह बनाने की मजबूरी छोड़ भोलानाथ सिंह हॉकी की जमी-जमाई जगह पर कब्ज़ा जमाया। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की बहुतायात पहले से ही है, सो आम के आम गुठलियों के दाम। फुटबॉल के खिलाड़ी एस एम हाशमी कयाकिंग-कैनोइंग, रोइंग, खोखो और नेटबॉल के कर्ता-धर्ता बन बैठे हैं। मधुकांत पाठक एथलिट और क्रिकेटर रहे लेकिन मुख्य प्रशासक बनने की चाहत में सॉफ्ट हॉकी से होते हुए अभी लॉन बॉल, साइकिलिंग और एथलेटिक्स को संभाल रहे हैं। लॉन बॉल के अन्तरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक हैं। राष्ट्रीय स्तर के एथलिट रहे शैलेंद्र तिवारी एथलेटिक्स में सम्भावना तलाशते-तलाशते तैराकी के प्रशासक बन गए। रांची विश्वविद्यालय के क्रिकेट कोच रहे जयकुमार सिन्हा दशकों से तलवारबाज़ी और टेबल टेनिस संघ के कर्ता-धर्ता हैं। ताइक्वांडो के प्रशिक्षक और प्रशासक संजय शर्मा वेटलिफ्टिंग संघ के महासचिव बान गए। बगैर कुछ खेले प्रभात शर्मा राष्ट्रीय ताइक्वांडो संघ के महासचिव बन गए। दांतों तले उँगलियाँ ना आई हूं तो बता दूं कि फेहरिस्त काफी लंबी है, किताब लिखनी पड़ेगी। खेल से खिलवाड़ के एक से एकाल उदाहरणों से पटी पड़ी ये भूमि वही रत्नगर्भा भूमि है जिसने सिधो-कान्हू, भगवान बिरसा मुंडा, जयपाल सिंह मुंडा और अल्बर्ट एक्का जैसे सैकड़ों कर्मवीरों को जन्म दिया। विश्वास करना मुश्किल है लेकिन यही कड़वी सच्चाई है।
दावेदारों के अभाव में चमकी दुकानदारी
झारखण्ड निर्माण के बाद खेल संघों पर कब्ज़े के लिए शह-मात का खेल शुरू हुआ तो पूर्व खिलाड़ी प्रशासक बनने की दौड़ से बाहर हो गए। चट्टों बट्टों में प्रशासक का पद रेवड़ियों की तरह बांटा गया। ये बात भी सही है कि कई खेल ऐसे हैं जिनमे खिलाड़ी ही नहीं हैं लेकिन वोट की ज़रूरत ने उन खेल संगठनों को भी कागजों पर ज़िंदा रखा है। दिल्ली में बैठे आकाओं को भी तन-मन-धन या अन्य किसी भी तरह से खुश कर कई प्रशासकों ने खेल संगठन पर कब्ज़ा जमाया।
प्रशासक/प्रशिक्षक मूल खेल खिलवाड़ का खेल
भोलानाथ सिंह कुश्ती हॉकी
एस एम हाशमी फुटबॉल कयाकिंग-कैनोइंग, रोइंग
मधुकांत पाठक एथलिट साइकिलिंग
संजय शर्मा ताइक्वांडो वेटलिफ्टिंग
प्रभात शर्मा ———– ताइक्वांडो
जयकुमार सिन्हा क्रिकेट टेबल टेनिस
संजेश मोहन ठाकुर ———- शूटिंग
विजय शंकर सिंह क्रिकेट हॉकी
शैलेंद्र पाठक कुश्ती किक बॉक्सिंग/साइकिलिंग
शैलेंद्र पाठक एथलिट तैराकी
दिनेश उपाध्याय ——- मुक्केबाजी
कुलदीप सिंह ——– घुड़सवारी