रांची |
16 अगस्त 2022 को अमिताभ चौधरी के निधन के बाद से झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (JSCA) में उनका “खासमखास वारिस” बनने को लेकर जो शीत युद्ध पांच-छह गुटों में चल रहा है। उसकी परिणिति “लीगल नोटिस” के रूप में सामने आ जाएगी, इसका आभास किसी को भी नहीं था।
कोई अदालती चक्करों से बचने के चक्कर में खुद को अमिताभ चौधरी का खासमखास बता रहा है तो कोई स्टेच्यू लगाकर खुद को खासमखास बताने की जुगत में भिड़ा है। कोई पुरानी दोस्ती का वास्ता दे खासमखास बताने में जुटा है तो कई खुद को वफादार मेमने बता खासमखास बताने में जुटे है। स्वर्गीय अमिताभ चौधरी की प्रथम पुण्य तिथि करीब आते ही जुलाई के तीसरे सप्ताह में एक मेमने को ये विचार आया की अमिताभ जी की तस्वीर को तीन लेयर 24 कैरेट गोल्ड के फ्रेम में मढ़वाया जाए। फिर 42,50,000 + GST का एक प्रस्ताव तैयार हो गया। इससे पहले संगमरमर की स्टेच्यू लगाने की सहमति तो बन ही गई थी। लेकिन खासमखास बताने की इस आपाधापी में परिजनों की सुध कोई नहीं ले रहा था। कमिटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में 16 अगस्त पहली पुण्य तिथि के दिन ही स्टेच्यू और स्वर्ण जड़ित तस्वीर लगाने पर आधिकारिक मुहर लगनी थी। इससे पहले ही 14 अगस्त को “लीगल नोटिस” का बम फूट गया।
दरअसल अमिताभ चौधरी के निधन के बाद जब परिजन शोक में थे तब JSCA में अमिताभ द्वारा पाले गए मेमनों ने इसे एक अवसर के तौर पर लिया। मेमनों ने जानबूझकर परिजनों की भावनाओं से खेलना शुरू कर दिया। जब हद हो गई तो परिजनों ने JSCA को लीगल नोटिस भिजवाया।
लीगल नोटिस के बाद JSCA के झंडाबरदार बीच का रास्ता तलाशने में जुटे हैं। सभी को पटना से वाया हजारीबाग होकर आनेवाली “बयार” पर भरोसा है वैसे इस “बयार” पर भरोसा करते करते “तीन खासमखास” “लाल घर” की चौखट तक पहुंच गए हैं।