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खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय संसांधन उपलब्ध कराने के नाम पर करोड़ों रुपये के सिंथेटिक ट्रैक लगाने और फिर लाखों रुपये की मखमली घास बिछवाने के बाद अब झारखंड खेल प्राधिकरण (साझा) ने मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबाॅल स्टेडियम को नन स्पोर्टिंग इवेंट के लिए भी खोलने का फैसला ले लिया है। गुरुवार को साझा की कार्यकारिणी समिति के सभापति खेल मंत्री हफिजुल हसन अंसारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस निमित फैसला लिया गया। पता हो कि 2016-17 में सरकार ने ये फैसला लिया था कि बिरसा स्टेडियम, मोरहाबादी के प्लेइंग एरेना की बुकिंग नन स्पोर्टिंग इवेंट के लिए किसी भी हालत में नहीं की जाएगी। लेकिन छह साल पहले लिए गए फैसले को बदलते हुए साझा ने अब मोरहाबादी के बिरसा मुंडा फुटबाॅल स्टेडियम को अब खेलों के अतिरिक्त अन्य कार्यक्रमों-समारोहों-आयोजनों के लिए सशुल्क अनुमति देने का निर्णय लिया है। बैठक के बाद खेल मंत्री ने स्टेडियम, मैदान व अन्य संसाधनों का निरीक्षण भी किया इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों से जानकारियों हासिल की और जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। खेल मंत्री, सचिव व निदेशक ने टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय टीम मंे शामिल सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं भी दीं। साझा कार्यकारिणी समिति की बैठक में खेल सचिव पूजा सिंघल, खेल निदेशक सह साझा के कार्यकारी निदेशक जिसान कमर, वित्त व योजना विभाग के सचिव के प्रतिनिधि, झारखंड ओलंपिक संघ के प्रतिनिधि के रूप में महासचिव मधुकांत पाठक व साझा के पदाधिकारी मौजूद थे।
20 हजार में खेल और 50 हजार में ‘खेला’
बैठक के दौरान जो सहमति बनी उसके अनुसार एक दिन के लिए खेल आयोजन करना हो तो मेंटेनेंश चार्ज 20 हजार रुपये देने होंगे साथ में बिजली मद में लगभग 3 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। अगर रात में दुधिया रौशनी का इस्तेमाल करना हो अतिरिक्त 15 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अतिरिक्त सिक्यूरिटी के रूप में 50 हजार रुपये भी जमा कराने होंगे। अगर खेल का आयोजन दो या दो दिन से ज्यादा है तो प्रत्येक दिन के लिए मेंटेनेंश चार्ज 10 रुपये की दर से देना होगा। गैर खेल आयोजन के लिए बुकिंग करानी हो तो 50 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान करना होगा और सिक्यूरिटी के रूप में एक लाख रुपये जमा कराने होंगे। बिजली मद में 15 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। खेल आयोजन के लिए खेल मंत्री नियमों को क्षांत करने के लिए अधिकृत हैं।
कुछ माह पहले ही बिछाये गए हैं लाखों के घास
स्टेडियम में अंडर 17 महिला विश्वकप की भारतीय टीम के प्रशिक्षण कार्यक्रम और भारतीय फुटबाॅल संघ के साथ संभावित एमओयू को देखते हुए कुछ माह पहले ही स्टेडियम में लाखों रुपये के घास लगवाए गए हैं। अब इन घासों पर खिलाड़ियों के बूटों के निशान के साथ मुर्गे की टांग व मछली के कांटों का भी प्रबंध कर दिया गया है। ठीक वैसे ही जैसे “ओवल” में क्रिकेटरों को अक्सर झेलना पड़ता है। खेल की अब शायद यही नियती बची है। खर्चा खेल और खिलाड़ी के नाम पर और मस्ती रईसजादों की।
नन स्पोर्टिंग आयोजन के दौरान सिंथेटिक ट्रैक-मखमली घास का कैसे होगा बचाव ?
सवाल उठता है कि जब स्टेडियम की बुकिंग नन स्पोेर्टिंग इवेंट के लिए भी होगी तो इस दौरान करोड़ों रुपये के सिंथेटिक ट्रैक व लाखों रुपये के मखमली घासों को कैसे बचाया जा सकेगा। बैठक के दौरान इस विषय पर ज्यादा मंथन नहीं हुआ। जेएससीए स्टेडियम की दर से तुलना करते हुए साझा के दर को कम बताया गया और सहमति बन गई।
एक दिन के नन स्पोर्टिंग इवेंट से एक सप्ताह का अभ्यास होगा बाधित
साझा ने फैसला तो ले लिया कि फंड जेनरेट करने के लिए मोरहाबादी के फुटबाॅल स्टेडियम को भाड़े पर दिया जाएगा। लेकिन क्या इस बात का मंथन हुआ कि अगर कोई आयोजक गीत-संगीत के कार्यक्रम के लिए बुकिंग करेगा तो इसकी तैयारी और फिर साफ-सफाई के दौरान कम से कम एक सप्ताह तक खिलाड़ी कहां अभ्यास करेंगे। क्योंकि ऐसे कार्यक्रमों की तैयारी कम से कम एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है।
इन विषयों पर हुई चर्चा, बनी सहमति
⇒ प्रशिक्षकों का मानदेय प्रति तीन वर्षों में 10 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय
⇒ पहले से स्वीकृत एकलव्य सेंटर जल्द खोले जाने का निर्णय
⇒ एकलव्य अकादमी के लिए मुख्य कोच के लिए ओलंपिक की योग्यता रखने पर बनी सहमति
⇒ कुश्ती का भी एक एकलव्य सेंटर खोलने पर बनी सहमति
⇒ साझा के संसाधनों से फंड जेनरेट करने के लिए क्लब बनाने पर भी हुई चर्चा
सरकार को नाच-गाने के लिए ही स्टेडियम को भाड़े पर लगाना था तो करोड़ो रुपये खर्च कर सिंथेटिक ट्रैक लगाने की कोई जरूरत नहीं थी, पुराना घास ही बेहतर था। खेल गांव के ट्रैक को भी ऐसे आयोजनों के नाम पर बर्बाद कर दिया गया है और अब मोरहाबादी के ट्रैक को भी बरबाद करने की तैयारी हो चुकी है।
एथलेटिक्स से जुड़े आधे दर्जन अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय प्रशिक्षक |