रांची |
31 दिसंबर 1986 को 19 साल की उम्र में खेल की बदौलत रांची जिला बल में सिपाही पद पर नियुक्त होनेवाली सरोजनी लकड़ा अब भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी बनने जा रही हैं। 21वीं शताब्दी में ऐसा होना लगभग नामुमकिन ही है लेकिन इस असंभव को संभव कर दिखाया है सरोजनी लकड़ा ने। सरोजनी लकड़ा की ये उपलब्धि हर उस खिलाड़ी के लिए उत्साहवर्धन का काम करेगी जो खेल को अपना करियर बनाना चाहते हैं। सोमवार को दिल्ली में UPSC और झारखंड के वरीय अधिकारियों की बैठक में झारखंड पुलिस सेवा के 24 अफसरों को IPS बनाने का नीतिगत निर्णय लिया जा चुका है और इसकी औपचारिक घोषणा होनी शेष है। इस सूची में सरोजनी लकड़ा का नाम सबसे ऊपर है।औपचारिक घोषणा होते ही सरोजनी लकड़ा झारखंड की पहली ऐसी महिला IPS अधिकारी बनेंगी जिन्होंने सिपाही से लेकर IPS बनने तक का सफर तय किया है। संभव है कि देश के स्तर पर भी ऐसा पहली बार हो रहा हो।
![प्रेरणादायक : खेल को हथियार बना सिपाही से IPS तक का सफर तय कर इतिहास रचने के करीब सरोजनी लकड़ा व एमेल्डा एक्का](https://www.sportsjharkhand.com/wp-content/uploads/2023/06/Screenshot_2023-06-20-13-31-50-49_12fa0dc35b2614c1213879e90715f85d-300x254.jpg)
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खास बात ये भी है कि सरोजनी लकड़ा के साथ ही एक अन्य एथलीट एमेल्डा एक्का भी IPS बनने जा रही हैं। एमेल्डा एक्का वरीयता क्रम में दूसरे पायदान पर रहेंगी लेकिन उन्होंने भी सिपाही से IPS तक का सफर तय कर कीर्तिमान स्थापित किया है। स्कूल स्तर पर सरोजनी लकड़ा और एमेल्डा एक्का कई वर्षों तक साथ साथ पढ़ती और खेलती रहीं। पुलिस में नियुक्ति से लेकर IPS तक के प्रमोशन तक का सफर दोनों ने साथ साथ तय किया है। दोनों की नियुक्ति दिसंबर 1986 में हुई। दोनों एक साथ आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर 1991 में इंस्पेक्टर बनीं। 2008 में DSP और 2019 में ASP पद पर भी दोनों एक साथ ही प्रोन्नत हुई।
![प्रेरणादायक : खेल को हथियार बना सिपाही से IPS तक का सफर तय कर इतिहास रचने के करीब सरोजनी लकड़ा व एमेल्डा एक्का](https://www.sportsjharkhand.com/wp-content/uploads/2023/06/IMG-20230620-WA0005-300x239.jpg)
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3 सितंबर 1967 को लातेहार (तत्कालीन पलामू) जिले के रामसेली, गारू में बलासियास लकड़ा (अब स्वर्गीय) और सबीना बेक के यहां जन्मी सरोजनी लकड़ा बचपन से ही खेल को अपना करियर बनाना चाहती थीं। स्कूल की पढ़ाई और खेलकूद जारी रहे इसलिए सरोजनी ने संत टेरेसा उच्च विद्यालय, महुआडांड़ के एथलेटिक्स सेंटर में दाखिला लिया। फिर ट्रैक एंड फील्ड पर 1984 से पदकों का जो सिलसिला शुरू हुआ वो 1992 दिल्ली में आयोजित एशियन ट्रैक एंड फील्ड प्रतियोगिता में हुई इंजुरी के बाद ही थमा। इसके बाद सरोजनी खेल शिक्षा में दीक्षा लेने की ओर बढ़ीं और खेल से जुड़ी पढ़ाई का ये सिलसिला अभी तक जारी है।
50 माह के अंदर तीन “आउट ऑफ टर्न” प्रमोशन की बदौलत सिपाही से इंस्पेक्टर बन गई थी सरोजनी लकड़ा
![]() ![]() डॉ रामेश्वर उरांव (तत्कालीन IPS व वर्तमान में झारखंड सरकार में मंत्री) की पहल पर 31 दिसंबर 1986 को सरोजनी लकड़ा की रांची जिला बल में आरक्षी (सिपाही) के पद पर सीधी नियुक्ति हुई। इसके बाद मात्र 50 माह के अंदर सरोजनी लकड़ा ने ट्रैक पर ऐसा प्रदर्शन दिखाया कि उन्हें एक के बाद एक तीन आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला। इन प्रमोशन की बदौलत ज्वाइनिंग के महज 50 माह के अंदर ही सरोजनी लकड़ा सिपाही से इंस्पेक्टर बन गई। 27 जून 2008 में प्रमोशन पाकर DSP बनी और 19 फरवरी 2014 को सीनियर DSP बनी। वर्तमान में सरोजनी लकड़ा वायरलेस विभाग में पदस्थापित हैं साथ में प्रभारी खेल निदेशक निदेशक की भूमिका भी निभा रही हैं। सरोजनी लकड़ा CID, JAP, ACB, गवर्नर हाउस में भी पदस्थापित रह चुकी हैं। |
1984 में SGFI दिल्ली में जीता था पहला पदक
सरोजनी लकड़ा को एथलेटिक्स से जुड़े लोग स्प्रिंटर और हेप्थाटलन एथलीट के रूप में जानते हैं लेकिन दिल्ली 1984 SGFI खेलों में सरोजनी ने अपने जीवन का पहला पदक जैवलिन (भाला फेंक) स्पर्धा में जीता था। सरोजनी लकड़ा अपने समय की ऑलराउंडर एथलीट थी। उन्होंने 100 मीटर हर्डल, 100 और 400 मीटर रिले, हाई जंप, लॉन्ग जंप और हेप्थाटलन में राज्य व देश के स्तर पर दर्जनों पदक जीते। राज्य व देश के लिए सरोजनी ने 1992 तक प्रतिनिधित्व किया जबकि ऑल इंडिया पुलिस गेम्स में उन्होंने 1994 तक भाग लिया।
नौकरी करते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण की
![प्रेरणादायक : खेल को हथियार बना सिपाही से IPS तक का सफर तय कर इतिहास रचने के करीब सरोजनी लकड़ा व एमेल्डा एक्का](https://www.sportsjharkhand.com/wp-content/uploads/2023/06/IMG-20230620-WA0006-300x195.jpg)
![प्रेरणादायक : खेल को हथियार बना सिपाही से IPS तक का सफर तय कर इतिहास रचने के करीब सरोजनी लकड़ा व एमेल्डा एक्का](https://www.sportsjharkhand.com/wp-content/uploads/2023/06/IMG-20230620-WA0006-300x195.jpg)
सरोजनी लकड़ा ने मैट्रिक संत टेरेसा उच्च विद्यालय और प्लस 2 की पढ़ाई संत जोसेफ उच्च विद्यालय महुआडांड से की। दिसंबर 1986 में नौकरी ज्वाइन करने के बाद रांची विश्वविद्यालय से 1989-1991 में BA किया इसके बाद 1989-1991 में इतिहास में ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की। (उस वक्त स्नातक पास कोर्स की पढ़ाई दो साल की होती थी, उसके बाद एक साल ऑनर्स का कोर्स) 1992 में इंजुरी होने के बाद खेल शिक्षा की ओर अग्रसर हुई और 1993-94 में कोलकाता से NIS फिर जर्मनी भाषा में गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी से स्पोर्ट्स साइंस में डिप्लोमा हासिल किया। 2016-18 में जर्मनी से ही ओलंपिक स्टडी में पार्ट टाइम MA की पढ़ाई पूरी की।
डॉ रामेश्वर उरांव, आर आर प्रसाद, जयवर्धन शर्मा, अमिताभ चौधरी और रेज़ी डुंगडुंग जैसे अभिभावकों ने मेरे सपनों को उड़ान दी : सरोजनी लकड़ा
sportsjharkhand.com से बात करते हुए सरोजनी लकड़ा ने बताया कि मेरे सपनों को उड़ान देने में कई वरीय पुलिस अधिकारियों का हाथ रहा। डॉ रामेश्वर उरांव सर ने घर से बुलाकर सिपाही की नौकरी दी। इसके बाद भी उनका मार्गदर्शन व प्रोत्साहन लगातार प्राप्त होता रहा। पूर्व DGP आर आर प्रसाद सर, जयवर्धन शर्मा सर, अमिताभ चौधरी सर, रेज़ी डुंगडुंग सर का आशीर्वाद और मार्गदर्शन की बदौलत ही यहां तक पहुंची हूं। वर्तमान में आर के मलिक सर समेत कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों का मार्गदर्शन भी समय समय पर प्राप्त होता रहता है। आज मैं जहां भी हूं, जैसी भी हूं उपरोक्त सभी अधिकारियों के मार्गदर्शन के बगैर ये संभव नहीं था। सभी अधिकारियों के मार्गदर्शन और प्रेरणा से ही मेरे सपनो को उड़ान मिली। नानी की बात सच हो गई सरोजनी लकड़ा ने बताया कि आज उन्हें उनकी नानी सुजाना बेक की कही बात याद आ रही है। जब भी बचपन में मुझे डांट पड़ती थी तब मेरी नानी मेरे अभिभावकों को डांटते हुए कहती थी तुम लोग इसके साथ बदसलूकी के साथ पेश मत आओ। ये लड़की एक दिन बहुत नाम कमाएगी। नानी का लाड़ प्यार मुझे सदैव मिलता था और इसीलिए उन्हीं के नाम पर मैंने अपनी बेटी का नामकरण किया।
गुरुजी शिबू सोरेन ने कई बार दिलाई आर्थिक मदद जब बिहार में लालू यादव की सरकार थी तब अच्छे प्रदर्शन के लिए विशेष पुरस्कार और NIS करने में आनेवाले पूरा खर्च गुरुजी शिबू सोरेन की अनुशंसा पर ही राज्य सरकार ने उठाया था। कई बार 4-4 हजार रुपए का विशेष पुरस्कार मिला था। उस वक्त खिलाड़ियों के लिए ये राशि काफी बड़ी रकम होती थी। आउट ऑफ टर्न प्रमोशन कराने में भी गुरुजी का भरपूर सहयोग रहा था। |
बेटी सुजाना लकड़ा भी मां की राह पर
सिंगल मदर सरोजनी लकड़ा की बेटी सुजाना लकड़ा भी उन्हीं की राह पर चल पड़ी है। सरोजनी की तरह ही उन्होंने भी 100 मीटर हर्डल दौड़ में शानदार प्रदर्शन किया है। सुजाना लकड़ा ने हाल ही में संपन्न SGFI प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर 100 मीटर हर्डल दौड़ में स्वर्ण पदक जीता है।
![प्रेरणादायक : खेल को हथियार बना सिपाही से IPS तक का सफर तय कर इतिहास रचने के करीब सरोजनी लकड़ा व एमेल्डा एक्का](https://www.sportsjharkhand.com/wp-content/uploads/2023/06/Screenshot_20230608-094331_WhatsApp-300x219.jpg)
![प्रेरणादायक : खेल को हथियार बना सिपाही से IPS तक का सफर तय कर इतिहास रचने के करीब सरोजनी लकड़ा व एमेल्डा एक्का](https://www.sportsjharkhand.com/wp-content/uploads/2023/06/Screenshot_20230608-094331_WhatsApp-300x219.jpg)
नोट : एमेल्डा एक्का पर विस्तृत रिपोर्ट अगली कड़ी में