रांची
खेल के आयोजनों में अंपायरों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है और झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (JSCA) जो 3.15 करोड़ रुपये सिर्फ प्रशासनिक खर्च करती हो वो अपने अंपायरों पर कितना खर्च करती होगी ? कोई अनुमान लगा सकते हैं आप ? ज्यादा माथपच्ची करने की जरूरत नहीं ! जवाब है शून्य ! जीतने चाहें उतने शून्य ! पूरी दरियादिली है ! पिछले दस सालों से इन्हीं शून्यों के पहाड़ की बदौलत छह दर्जन रणजी पैनल, BCCI लेवल 1, एलिट पैनल, ग्रेड 1, ग्रेड 2 और स्टेट पैनल अंपायरों को आधुनिक खेल उपकरणों और किट से नवाजा जा रहा है। आखिरी बार लगभग 10 साल पहले JSCA ने अंपायरों को किट के नाम पर हैट और शर्ट दिया था। इसके बाद जेएससीए को अब तक अंपायरों की याद नहीं आयी है। हां यदा-कदा कोर्स के नाम पर टी-शर्ट जरूर दिए गए हैं। शर्ट और हैट को ही किट मान अंपायर पिछले दस वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं।
कंसल्टेंसी पर 10.63 लाख, अंपायर सेमिनार पर 000000000000
JSCA की 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार अंपायर शिक्षण/प्रशिक्षण/कोर्स/क्लीनिक/सेमिनार पर भी JSCA शून्य से ज्यादा खर्च नहीं कर पाया है। हां इसी मद में 2015-16 में 10,900 (दस हजार नौ सौ रुपये) की रकम खर्च की गयी। खेल-खिलाड़ी के विकास के लिए जरूरी अंपायरों के प्रति इतनी संवेदनहीनता दिखाने वाला JSCA कंसल्टेंसी के नाम पर 10.63 लाख रुपये खर्च करता है। (देखें तस्वीर)
पिछले वर्ष 300 से 700 हुआ मेहनताना
JSCA अपने छह दर्जन से ज्यादा उच्च श्रेणी के अंपायरों को एक साल पहले तक मात्र 300 रुपया प्रति मैच की दर से भुगतान करता था, लेकिन लगभग एक साल पहले से यह रकम 700 रुपये कर दी गयी है। यहां ये जानना जरूरी है कि कोलकाता में लीग मैचों का संचालन करनेवाला स्टेट पैनल अंपायर को कम से कम 2000 रुपये मिलते हैं।
आजीवन सदस्य बनाने लाॅलीपाॅप
2013 में हुए हाई प्रोफाइल चुनाव से पहले अंपायरों को JSCA का आजीवन सदस्य बनाने का लाॅलीपाॅल भी थमाया गया था, लेकिन समय के साथ प्राथमिकताओं ने करवट ली और सब बंद बस्ते में चला गया। अंपायर खुद को ठगे महसूस करते हैं लेकिन अमितभवा नाराज हो जैइतउ तो लफड़ा हो जैइतउ सोचकर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। इस विषय पर sportsjharkhand.com ने कई अंपायरों से बात करने की कोशिश की लेकिन फोन पर भी अघोषित शांति ही मिली, जवाब नहीं मिला।
शर्म इन्हें क्यों आती नहीं ?
पिछले दस वर्षों में अंपायरों से ज्यादा शर्ट जेएससीए के सदस्यों के बीच बांटे गए। प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मैचों के अलावा कई अन्य अवसरों पर भी जेएससीए के सदस्यों के बीच शर्ट का वितरण किया गया लेकिन अंपायरों को एक अदद शर्ट नसीब नहीं हुआ। खेल पत्रकारों तक को टोपी पहना दी गयी लेकिन अंपायरों की सोचनेवाला कोई नहीं। पता हो कि इन दस वर्षों में नौ से ज्यादा वर्ष तक जेएससीए के प्रत्यक्ष अध्यक्ष अमिताभ चैधरी रहे हैं जबकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद से पर्दे के पीछे से अप्रत्यक्ष रूप से सर्वेसर्वा बने हुए है।