sportsjharkhand.com टीम
रांची
विश्वस्त सूत्रों की माने तो सरकार ने आगामी 31जून से 4 जुलाई 2017 तक प्रस्तावित 22वें एशियाई एथलेटिक्स प्रतियोगिता का आयोजन नहीं कराने का आखिरी फैसला ले लिया है। सरकार की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन ये लगभग तय हो गया है कि आयोजन रांची में नहीं होगा। और इस बात से सम्बंधित खेल संगठन को भी अवगत करा दिया गया है। इस कठोर फैसले के पीछे कई कारण उभर कर सामने आ रहे हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारण 34वें राष्ट्रीय खेल 2011 के सफल आयोजन के बावजूद लगे भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इन आरोपों की जद में आये एक खेल प्रशासक की आयोजन में ज़रूरत से ज़्यादा तेज़ी भी अधिकारियों को रास नहीं आयी। दरअसल 2013 में मात्र 35-40 दिनों के अंदर पुणे में 2013 के 20वें एशियाई एथलेटिक्स का आयोजन किया गया था। पता हो कि पहले 20वें एशियाई एथलेटिक्स का आयोजन चेन्नई में होना था। आखिरी समय में श्रीलंका की टीम को बाहर रखने की शर्त पर तमिलनाडु सरकार ने आयोजन कराने की घोषणा की। जिसे नकार कर आयोजकों ने मात्र 35 दिनों के अंदर पुणे में आयोजन कराया गया।
दूसरी ओर रांची में होने वाले आयोजन को लेकर डेढ़ साल पहले से ही भूमिका बाँधने की तैयारी शुरू हो गयी। फलाना बाबू का आगमन, चिलाना बाबू का पत्र और मेल ने सरकारी महकमे के कान खड़े कर दिए। आयोजन समिति और टेंडर के नाम पर राष्ट्रीय खेलों में पूर्व के विभागीय अधिकारियों का कटु अनुभव और हश्र से अधिकारियों की वर्तमान टीम काफी असहज महसूस कर रही थी। विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी भी प्रमुख कारणों में से एक रही।
8 नवम्बर की समीक्षा बैठक में हुआ फैसला !
sportsjharkhand.com को विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि विगत 8 नवम्बर को खेल विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान एशियाई एथलेटिक्स का आयोजन ना कराने का फैसला ले लिया गया था। बैठक में आलाधिकारियों की मौजूदगी में ये फैसला हुआ था।
2013 का इतिहास दोहराया गया
20वें एशियाई एथलेटिक्स के आयोजन को भी सरकार ने सहमति देने के बाद कराने से इनकार कर दिया था। और ठीक तीन साल बाद इतिहास ने खुद को दोहराया है और सरकार ने पहले हाँ के बाद आयोजन को ना कर दिया है।
… तो डूब जाएंगे 30 लाख रूपये
आयोजन नहीं होने की स्थिति में सरकार के लगभग 30 लाख रूपये डूब जाएंगे। लगभग 19 लाख रूपये बिडिंग के लिए दिए गए थे जबकि विदेश से आने वालों पर्यवेक्षकों और अधिकारियों के दौरे पर अबतक लगभग 10 लाख रूपये खर्च किये जा चुके हैं। जिनका लौटना लगभग नामुमकिन है।
जानकारी मिली है कि सरकार आयोजन नहीं कराने का मन बना रही है। कारण क्या है ? ये तो सरकार ही बेहतर बता सकती है।
मधुकांत पाठक, अध्यक्ष, झारखण्ड एथलेटिक संघ