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रांची
राष्ट्रीय स्तर की शूटर रही तारा शाहदेव ने अतीत की काली अंधेरी यादों-अनुभवों को पीछे छोड़ते हुए विपरीत परिस्थितियों में लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो संघर्ष किया है, उसको सलाम। तारा ने अपने संघर्ष से मुकाम हासिल कर प्रमाणित कर दिया कि आत्महत्या असफलता का शॉर्टकर्ट नही ! चार साल पहले लव जिहाद और शारिरिक प्रताड़ना की शिकार हुई तारा ने शुक्रवार को इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित क्लास डी कोच की परीक्षा पास कर ली। ऐसा करनेवाली वो पहली झारखंडी महिला है। 1100 प्रतिभागियों ने ये परीक्षा दी थी जिसमे से मात्र 27 को सफलता मिली। तारा दूसरे नंबर पर रहीं। ग्रेड सी कोच बनने के लिए अब तारा फ़िनलैंड जाने की तैयारियों में जुट गई हैं।
शूटिंग मेरा जुनून है, मैं इसे कभी नही छोडूंगी। खिलाड़ी के रूप में जो सपने देखे वो चकनाचूर हो गए लेकिन कोच बनकर इस खेल से जुड़े रहना है और खिलाड़ियों की एक नई पौध तैयार करना है।
तारा शाहदेव