sportsjharkhand.com टीम
रांची
हाल ही में वज्रपात, दुर्घटना में 6 खिलाड़ियों की मौत के बाद से खिलाड़ियों का बीमा कराये जाने की मांग को बल मिला है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि खेल एवं युवा कार्य निदेशालय ने 7 मार्च 2009 को ही संकल्प संख्या 2/खेल 1 कला 103/06 3011 (देखें तस्वीर) के जरिये खिलाड़ियों का बीमा कराने समेत मेडिकल खर्च का भी प्रावधान किया गया था। लेकिन आज तक इस विषय पर कुछ नही हुआ। संकल्प जारी होने के तीन माह बाद 8 जून 2009 को निदेशालय के पत्रांक 2/खेल 1 कला/103/06 250 में भी खिलाड़ियों के बीमा के संदर्भ में फैसला लिया गया लेकिन 8 साल गुजर जाने के बाद भी कुछ नही हुआ।
अधिकारियों और खेल प्रशासकों की प्राथमिकता में कभी नही रहा खिलाड़ियों का बीमा
कैश अवार्ड और छात्रवृति के लिए विभाग का चक्कर लगानेवाले खेल संघों के पदाधिकारियों की प्राथमिकता में कभी भी खिलाड़ियों के बीमा का विषय नही रहा। ये दुर्भाग्य का विषय है। कैश अवार्ड और छात्रवृति में ज्यादातर खेल संघों के पदाधिकारियों द्वारा कमिसनखोरी की बात अब सार्वजनिक हो चुकी है।
अधिकारियों की प्राथमिकता में खेल आयोजन, बीमा नही
बीमा संबंधी संकल्प 2009 में जारी हुआ, लेकिन लागू नही हुआ। बीमा प्राथमिकता नही थी, आयोजन ही प्रथमिकता थी क्योंकि वहां लक्ष्मी देवी का आना जाना ज्यादा था। उस वक्त के सचिव, निदेशक और उप निदेशक सभी खेल आयोजनों में हुए भ्रस्टाचार को लेकर जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं/थे।
बीमा के अलावा मेडिकल और अन्यान्य खर्च भी मिलना था
इस संकल्प को ध्यान से देखें तो समझ मे आता है कि ये सभी प्रावधान लागू हो गए होते तो आवासीय और डे बोर्डिंग सेंटर की स्थिति बदली हुई होती। प्रत्येक सेंटर के लिए मेडिकल और अन्यान्य खर्च के लिए भी प्रतिवर्ष राशि दी जानी थी।
Expert View
संकल्प में जारी प्रावधानों को सामयिक बदलावों के साथ मूल रूप में लागू करना चाहिये।
हरीश कुमार, प्रशिक्षक सह खेल प्रशासक