sportsjharkhand.com टीम
रांची
रविवार, 26 जून 2005, पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि और धनिष्ठा नक्षत्र. यही वह समय और तिथि थी जिस दिन 34वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का पहला करार होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट के रूप में भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), झारखंड ओलंपिक संघ (JOA) और झारखंड सरकार के बीच हुआ था। यही वह दस्तावेज़ है जिसने राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति (NGOC) को नियम कानूनों से परे ऐसी संप्रभुता सम्पन्न संस्था बना डाला जिसपर कालांतर में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे (मामला न्यायालय में विचाराधीन है)।
होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट में IOA पहली पार्टी है जबकि JOA दूसरी और राज्य सरकार तीसरी पार्टी है। कॉन्ट्रैक्ट में 60 पॉइंट हैं, जिनमें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से जुड़ी शर्तों और विशेषाधिकार की चर्चा है। होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट के साथ 19 पन्नों के 14 संगलग्नक भी लगे हैं।
जल्दबाज़ी ऐसी की सादे कागज पर बगैर मुहर के ही हो गया करार !
सादे कागज पर ही IOA व JOA के अध्यक्ष-महासचिव और मुख्यमंत्री और खेल सचिव के हस्ताक्षर हैं वो भी मुहर के बगैर। 20 पन्नों के दस्तावेज में मात्र 20वें पन्ने पर ही हस्ताक्षर हैं अन्य पन्नों पर नहीं। आमतौर पर करार स्टैम्प पेपर पर ही किये जाते हैं और छुट्टियों के दिन इससे परहेज़ किया जाता है लेकिन होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर कराने की इतनी जल्दबाज़ी क्यों दिखाई गई ? ये समझ से परे नही है। बाद में इसी दस्तावेज़ के आधार पर NGOC का गठन किया गया जो भ्रष्टाचार का पर्याय बनी।
अनुचित लाभ के लिये होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट को भी किया गया बाई पास
कालांतर में राष्ट्रीय खेल आयोजन से जुड़े IOA, JOA और राज्य सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत से होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट के प्रावधानों से इतर जाकर भी कई काम किये गए। sportsjharkhand.com आपके सामने दो बड़े उदाहरण रख रहा है
1. होस्ट सिटी कॉन्ट्रैक्ट के क्लाउज़ 5 के अनुसार NGOC में संयुक्त कोषाध्यक्ष के रूप में सरकार का प्रतिनिधि होना था लेकिन बाद में सभी की मिलीभगत से ये गौण हो गया।
2. क्लाउज़ 58 में साफ दर्ज है कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन ज्यादा से ज्यादा रांची समेत दो शहरों में होंगे। लेकिन आयोजन तीन शहरों में हुए। इससे घपले-घोटाले का दायरा भी बढ़ा।
ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से नए काम की शुरुआत के लिए 26 जून 2005 का दिन शुभ नही था। पंचक था इसलिए सदैव अवरोध की बलवत संभावना बनी रहती है।
पंडित रामदेव, ज्योतिषाचार्य