sportsjharkhand.com टीम
रांची
झारखंड ओलंपिक संघ (JOA) के इतिहास में पहली बार शनिवार 27 मई को महासचिव के एक पद और सहायक सचिव के आठ पदों के लिए चुनाव होंगे। गुरुवार को नाम वापसी के दिन जॉर्ज लकड़ा ने कार्यसमिति सदस्य के पद से अपना नाम वापस ले लिया। इस तरह महासचिव और सहायक सचिव के लिए चुनाव का ही विकल्प बचा है। जॉर्ज लकड़ा के नाम वापस लिए जाने के बाद कार्यसमिति के दस पदों पर राकेश सिंह, संजय त्रिपाठी, दशरथ महतो, रणबीर सिंह, मो हेजाज़ असदक, आलोक कुमार मिश्रा, रोहित कुमार सिंह, निशिकांत पाठक, शैलेन्द्रनाथ दुबे व उदय साहु निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं।
इससे पहले बुधवार को अध्यक्ष पद पर आर के आनंद, वरीय उपाध्यक्ष के छह पदों पर मधुकांत पाठक, प्रतुलनाथ शाहदेव, हरभजन सिंह, गुलाम रब्बानी, बी एन मिश्रा और अनिल कुमार जायसवाल, उपाध्यक्ष के आठ पदों पर राजीव रंजन मिश्रा, के प्रभाकर राव, उत्तम चंद, रशीद खान, ब्रज किशोर मिश्रा, बिजय कुमार पुरी, शिव कुमार पांडेय और सुरेश कुमार, कोषाध्यक्ष के एक पद पर शिवेंद्रनाथ दुबे और अतिरिक्त सचिव के छह पद पर बिपिन कुमार सिंह, के के सिंह, बरूण कुमार, चंद्रदेव सिंह, शैलेन्द्र पाठक और ज्ञानेंद्र नारायण निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं।
पहली बार टूट गई HAM की तिकड़ी
JOA के 16 साल के इतिहास में पहली बार JOA की तिकड़ी HAM (हाशमी+आनंद+मधुकांत) बिखरती हुई नज़र आ रही है। निर्माण से लेकर आज तक लाख विरोधों के बावजूद HAM चुनाव के वक़्त एकजुटता दिखाते रहे और हर बार विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी। लेकिन फरवरी 2018 में होनेवाले IOA के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की महत्वकांक्षाओं की भेंट चढ़ गई ये तिकड़ी।
चुनाव हुए तो हाशमी की हार तय
अगर महासचिव पद के लिए चुनाव हुए तो 83 मत में से 20-25 मत भी हाशमी के पक्ष में फिलहाल नही दिखाई दे रहे। नामांकन के दिन ही हाशमी को प्रस्तावक ढूंढने में परेशानियों का सामना करना पड़ा और किसी तरह नामांकन हुआ। दिल्ली के आशीर्वाद के बदौलत ही हाशमी अपनी कुर्सी बचा पाने में सफल होंगे अन्यथा हार तय है। हाउस की जो स्थिति दिख रही है उसमें विशाल शर्मा की जीत तय है लेकिन ये जीत विशाल कि नही बल्कि मधुकांत पाठक की होगी। आरके आनंद सभी को खुश करने की रणनीति पर कायम है और जो बनेगा उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बनवा देने का तमगा हासिल करने का प्रयास करेंगे।
महंगा पड़ सकता है दांव !
JOA चुनाव में एस एम हाशमी को किनारे लगाने का दांव उल्टा भी पड़ सकता है। क्योंकि IOA के उच्चपदस्थ सूत्रों से जो जानकारी sportsjharkhand.com को मिल रही है उसके अनुसार IOA की राजनीति में दखल रखनेवाले ज़्यादातर (अभय चौटाला को छोड़कर) पूर्व व वर्तमान खेल प्रशासकों का आशीर्वाद हाशमी को प्राप्त है। दिल्ली दरबार में तिकड़ी को जब पंचायती के लिए बैठाया गया था तो भी ये बात साफ-साफ बता दी गई थी। यही कारण था कि पूर्व घोषणा के बावजूद मधुकांत पाठक ने महासचिव पद के लिए नामांकन नही किया और खेल से जुड़ा हर शख्स ये जानता है कि विशाल शर्मा किसके आशीर्वाद से आगे बढ़ रहे हैं।
विरोधियों और ACB के लिए मौका-मौका
तिकड़ी के टूटने से JOA का विरोध कर रहे खेल प्रशासकों और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के लिए भी एक मौका है। राष्ट्रीय खेल घोटाले में हाशमी और मधुकांत पर आरोप पत्र दायर हो चुके हैं और आनंद पर जांच चल रही है। विरोधी गुट भी 27 मई को एक चुनाव करा रहा है और अगर हाशमी को किनारे लगाया गया तो कुछ भी संभव है। विरोधी गुट के कई लोगों के साथ हाशमी की नजदीकी जगज़ाहिर है। 27 से पहले चुनाव के कई रंग दिखेंगे ये तय है।