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रांची
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल और खिलाड़ियों के प्रदर्शन और सरकारी स्तर पर मिल रही मान्यता की बात करें तो 15 नवंबर 2000 से पहले और बाद की परिस्थितियां पूरी तरह बदली हुई हैं। राज्य निर्माण से पहले शानदार प्रदर्शन के बावजूद झारखंड के एक भी खिलाड़ी को भी केन्द्रीय सरकार द्वारा किसी भी तरह का पुरस्कार से पुरस्कृत नहीं किया गया। लेकिन अलग राज्य बनने के कुछ दिनों बाद तस्वीर पूरी तरह बदलती हुई दिख रही है। सुमराय टेटे, महेन्द्र सिंह धौनी और दीपिका कुमारी समेत दर्जनों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और झारखंड का नाम उंचा किया और केन्द्र सरकार ने उनकी प्रतीभा को सम्मानित भी किया। ऐतिहासिक अतीत, गौरवमय वर्तमान और सुनहरे भविष्य के सपनों के साथ राज्य के खिलाड़ियों ने झारखंड निर्माण के सपने को पूरी तरह साकार कर दिया है।
झारखंड बनने से पहले पुरस्कारों का टोटा, बाद मंे मिले छह पुरस्कार
झारखंड बनने से पहले 1928 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हाॅकी टीम के कप्तान जयपाल सिंह मुंडा, 1975 विश्वकप हाॅकी टीम के सदस्य माइकल किंडो और 1980 माॅस्को ओलंपिक हाॅकी का स्वर्ण जीतनेवाली टीम का हिस्सा रहे सिल्वानुस डुंगडुंग जैसे खिलाड़ियों की प्रतीभा सम्मान को तरसती रही। वहीं झारखंड बनने के बाद महेन्द्र सिंह धौनी, दीपिका कुमारी, संजीव सिंह, पूर्णिमा महतो, सिल्वानुस डुंगडुंग (देर से ही सही) और अब सुमराय टेटे को सम्मान मिलना गौरव की बात है। देखें पूरी लिस्ट
झारखंड बनने के बाद पुरस्कृत खिलाड़ियों/प्रशिक्षकों की सूची
महेन्द्र सिंह धौनी – क्रिकेट – राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार
दीपिका कुमारी – तीरंदाजी – अर्जुन पुरस्कार, पदमश्री
पूर्णिमा महतो – तीरंदाजी – द्रोणाचार्य पुरस्कार
संजीव सिंह – तीरंदाजी – द्रोणाचार्य पुरस्कार
सिल्वानुस डुंगडुंग – हाॅकी – ध्यानचंद पुरस्कार
सुमराय टेटे – हाॅकी – ध्यानचंद पुरस्कार
झारखंड बनने के बाद खेल की आधारभूत संरचनाओं का विकास, यहां के नैसर्गिक खिलाड़ियों के लिए उर्जा का काम कर रहा है। भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेगा।
सुभाष डे, वरिष्ठ खेल पत्रकार