लॉक डाउन के बीच झारखंड के खेलप्रेमियों के लिए एक सुखद ख़बर है। टाटा आर्चरी अकादमी के मुख्य कोच धर्मेंद्र तिवारी को प्रशिक्षकों के सबसे बड़े सम्मान द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिए बनी कमिटी ने उनके नाम की घोषणा कर दी है और इसपर खेल विभाग की आधिकारिक मुहर लगने की औपचारिकता शेष है। धर्मेंद्र तिवारी 1996 से टाटा आर्चरी अकादमी में बतौर कोच जॉइन किया था और वर्तमान में मुख्य कोच की भूमिका में हैं। वे टाटा स्टील में ही L5 रैंक के अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। धर्मेंद्र तिवारी 80 व 90 के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर एक खिलाड़ी के रूप में भी रिकर्व व इंडियन स्पर्धा में अपनी पहचान दर्ज़ करा चुके हैं। धर्मेंद्र तिवारी ने 87-88 में जूनियर नेशनल के दौरान 3 स्वर्ण पदक बटोरे थे। धर्मेंद्र मूलतः सीवान, बिहार के रहनेवाले हैं लेकिन पिछले 4 दशक से भी ज्यादा वक्त से उनका परिवार लौह नगरी में रचा-बसा है।
तीरंदाज़ी में झारखंड के तीसरे द्रोणाचार्य बने, तीनों टाटा आर्चरी अकादमी से
धर्मेंद्र तिवारी झारखंड के तीसरे प्रशिक्षक हैं जिन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला है। सुखद आश्चर्य है कि तीनों के तीनों प्रशिक्षक टाटा आर्चरी के ही हैं। 2007 में संजीवा कुमार सिंह, 2013 में पूर्णिमा महतो व 2019 के लिए धर्मेंद्र तिवारी का चयन हुआ है। तीरंदाज़ी के अलावा झारखंड से जुड़े नरेंद्र सिंह सैनी को भी 2013 में हॉकी के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार मिल चुका है। सैनी वर्तमान में राज्य सरकार के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में अपनी सेवा दे रहे हैं। JSSPS में कार्यरत बॉक्सिंग कोच बीबी मोहंती भी द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं। वे मूलतः ओडिसा के रहनेवाले हैं।
8 ओलंपियन का कैरियर संवारा है धर्मेंद्र तिवारी ने, 9वां टोक्यो में प्रतिभा दिखाने को बेताब
धर्मेंद्र तिवारी के प्रशिक्षण में दीपिका कुमारी, डोला बनर्जी, रीना कुमारी, बी परिणीता, लक्ष्मी रानी मांझी, जयंत तालुकदार व अतानु ओलंपिक तक का सफर तय कर चुके हैं। सब कुछ ठीक रहा तो उनकी शिष्या अंकिता भगत टोक्यो ओलंपिक में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी।