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सिमडेगा
जिद के आगे जीत है ! बड़ी बहन खुद हॉकी खेल गांव, ज़िला, राज्य और देश का नाम रौशन करना चाहती थी, लेकिन घर की माली हालत और परिस्थितियों ने ऐसा नहीं होने दिया। लेकिन छोटी बहन की हॉकी के प्रति ललक को कुंद होने से बचाने के लिए बड़ी बहन ने घर छोड़कर महानगर का रुख किया। दूसरों के घर में बर्तन मांजकर बहन के करियर को संवार दिया। शुक्रवार को जब छोटी बहन का चयन भारत की सीनियर टीम में हुआ तो जैसे सारे सपने साकार हो गए।
कहानी फ़िल्मी नहीं ! छोटी बहन सलीमा टेटे के भारतीय हॉकी टीम में जगह बनाते ही बड़ी बहन अनिमा टेटे का सपना पूरा हो गया। अनिमा और सलीमा टेटे की ये वास्तविक कहानी सिमडेगा के बड़कीछापर गाँव में साकार हुयी। बड़ी बहन 4 साल से बेंगलुरु में दूसरे के घरों के बर्तन चमकाते-चमकाते छोटी बहन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बन दिया।
अनिमा ने ही स्टिक खरीदकर सलीमा के सपनों को उड़ान दी थी। आज वो सपना पूरा हो गया है। पिछले दो साल से अनिमा अपने घर नहीं लौटी हैं। इस क्रिसमस में अनिमा ने घर आने का वायदा किया है और इसको लेकर परिवार में उत्साह का माहौल है। प्रति माह बेंगलुरु से अनिमा द्वारा भेजे जाने वाले पैसों पर ही परिवार के भरण पोषण टिका है। भाई बेरोजगार है और पिता खेती कर साल भर का चावल किसी तरह जुगाड़ कर लेते हैं।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले सलीमा के पिता सुलक्सन टेटे और माता सुबानी टेटे की पांच बेटियां एलिसन, सुमन, अनिमा, सलीमा व महिमा और एक भाई अनमोल टेटे है। सभी गांव के स्तर पर हॉकी के खिलाड़ी रहे हैं। सलीमा की छोटी बहन महिमा भी हॉकी में करियर बनाने को जीतोड़ मेहनत कर रही हैं।
सिमडेगा आवासीय सेंटर की उपज है सलीमा
सलीमा पिछले तीन वर्षों से सिमडेगा आवासीय सेंटर में हॉकी का प्रशिक्षण ले रही हैं और उनकी प्रतिभा को संवारने का श्रेय प्रतिमा बरवा को जाता है जो सेंटर की प्रशिक्षक हैं। मात्र 15 वर्ष की उम्र में सलीमा टेटे का चयन ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम में हुआ है। भारतीय हॉकी टीम की कप्तान असुंता लकड़ा के सन्यास के बाद सलीमा पहली खिलाड़ी हैं जिनका चयन सीनियर टीम में हुआ है। सलीमा ने अभी तक सिर्फ एक जूनियर स्तर की अंतररास्ट्रीय प्रतियोगिता खेली है और सिर्फ 95 दिन राष्ट्रीय कैम्प में रहकर अपने मेहनत और शानदार प्रदर्शन के बल पर सीनियर भारतीय टीम में जगह पक्की की है। सलीमा के रूप में देश को एक मजबूत डिफेंडर और ड्रैगर मिला है।
दीदी से आगे बढ़ना चाहती हूँ : महिमा
सलीमा की छोटी बहन महिमा अपनी बहन की उपलब्धि से तो बहुत खुश हैं लेकिन उन्होंने (महिमा) sportsjharkhand.com से बातचीत में कहा कि वे हॉकी में दीदी से भी ज़्यादा नाम कमाना चाहती हैं। दीदी को चैलेंज घर से भी मिलेगा। इसके लिए मैं काफी मेहनत भी कर रही हूँ। पता हो कि महिमा भी सिमडेगा हॉकी सेंटर की ही प्रशिक्षु हैं और इनकी भी प्रशिक्षक प्रतिमा बरवा हैं।