sportsjharkhand.com टीम
रांची
महिला खिलाड़ी के यौन शोषण के आरोप में जेल की हवा खा रहे संजय शर्मा और राज्य के प्रमुख खेल प्रशासकों के बीच का नापाक रिश्ता झारखण्ड में खेल के स्याह इतिहास के काले पन्नों में दर्ज़ है। खेल संघों के बीच चल रहे छद्म लड़ाई के पीछे की कड़वी सच्चाई से खिलाड़ियों के होश फाख्ता हो जाएंगे। विरोध का ढिढोरा पीटने वाले खेल संघों का मूल मंत्र है कि कुत्ता कुत्ते का मांस नहीं खाता और शायद यही कारण है कि एक दशक से भी ज़्यादा समय से यौन शोषण के आरोपों के बावजूद संजय शर्मा जैसे लोग हर बार आंतरिक जाँच में क्लीन चिट पाते रहे हैं।
बात 2006-7 की उस काली सच्चाई की जिसे जयपाल सिंह स्टेडियम के पवेलियन में जाम से जाम छलका कर रचा गया था। बरियातू में रहनेवाली एक महिला ताईक्वांडो खिलाड़ी ने संजय शर्मा पर यौन शोषण का मामला लगाया। ये वो दौर था जब सभी खेल संघों के मठाधीश झारखण्ड ओलिम्पिक संघ (JOA) के बैनर तले एकता का प्रदर्शन करते थे। झारखण्ड ओलिम्पिक संघ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एक पांच सदस्यीय जाँच कमिटी बनायी। जाँच कमिटी गठन का आदेश निकालनेवाले, आरोपी और जाँच कमिटी के पांच कर्ता-धर्ता जयपाल सिंह स्टेडियम में बैठे और चार माह तक चली जाँच प्रक्रिया के बाद छलकते जाम के बीच सच को दफ़न करने वाली रिपोर्ट तैयार हो गयी। संजय शर्मा को क्लीन चिट दे दी गयी। कमिटी ने जाँच के बहाने चार माह तक महिला खिलाड़ी के पिता पर लगातार दवाब बनाया और जाँच समिति ने मामले को लव जेहाद का अमलीजामा पहना महिला खिलाड़ी को परिजन सहित हमेशा के लिए रांची छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
10 साल पहले अगर मामले की जाँच सही तरीके से होती तो शायद आज ये नौबत नहीं आती। सच्चाई ये है कि जाँच का आदेश देनेवाला शख्स भी कालांतर में जेल की हवा खाकर अपनी ग्रेडिंग बढ़ा चुका है। जाँच करनेवाले में एक की ढीली लंगोट खेल जगत में वर्षों से चर्चा का विषय है। खैर समय बलवान होता है, आरोपी अंततः 10 साल बाद सही जगह पर पहुँच गया है।
संजय शर्मा लव्स मॉडस ऑपरेंडी ऑफ़ नटराजन !
सुषमा बड़ाईक कांड याद है न आपको ! यौन शोषण की शिकायत के बाद जाँच पदाधिकारी नटराजन ने ही यौन शोषण शुरू कर दिया। लगता है संजय शर्मा को नटराजन के कुकर्म का तरीका ज़्यादा ही पसंद आया और उसे आत्मसात कर लिया। दर्ज FIR इसी सच्चाई को बयां कर रही है कि संजय शर्मा एक्चुअली लव्स मॉडस ऑपरेंडी ऑफ़ नटराजन !
करोड़ी घर रास न आया
संजय शर्मा ने धनबाद के बैंक मोड़ स्थित टेलीफोन एक्सचेंज के बगल में सपनों का भव्य आशियाना बनाया। लगभग 1.5-2 करोड़ की लागत से बने आशियाने का गृह प्रवेश 6 फरवरी को बड़े ही भव्य तरीके से किया गया था। लेकिन गृह प्रवेश के एक पखवाड़े के भीतर ही लाल किले का टिकट कट गया। दूसरों के सपनों को कुचलने के आरोपों के साये में बसाये गए आशियाने को लगता है किसी की नज़र लग गयी !
मामला काफी पुराना है, JOA के संज्ञान में आया और तीन सदस्यीय जाँच कमिटी बनी थी। जहाँ तक मुझे याद है तीन-चार माह तक चली जाँच प्रक्रिया के बाद दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया था।
सैयद मतलूब हाशमी, महासचिव JOA