sportsjharkhand.com टीम
सिमडेगा/रांची
फागुन-चैत के महीने में महुआ की मनमोहक खुशबू में कैद होकर कई कदम खुद-ब-खुद गांव की ओर खींचे चले आते हैं। ऐसे ही दो कदम अपनों से मिलने के बहाने भोपाल से भाया रांची होते हुए सिमडेगा पहुंचे हैं। ये कदम भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान और वर्तमान में भारतीय महिला हॉकी टीम की चयनकर्ता और प्रशिक्षक असुंता लकड़ा के हैं, जो रोके नहीं रुक रहे। असुंता केरसई प्रखंड के नोनगड़ा की मूल निवासी हैं, और रांची रेलवे में कार्यरत हैं। जब भी छुट्टियों में घर आती है तो गांव में अन्य महिलाओ की तरह हर काम में अपना योगदान देती हैं। इस बार माता पिता के साथ जंगलो में टोकरी लेकर महुआ चुनने निकल गईं और अपने बचपन को फिर से जिया।
असुंता ने कहा कि अपना काम करने में शर्म किस बात कि और आज मैं जो कुछ भी हूँ इसमें महुआ का बड़ा योगदान है। मेरे माता पिता और मै खुद भी तपती धुप में घंटों तक झुककर महुआ चुनते थे और इसे बेचकर पहली हॉकी स्टिक खरीदी थी। और एक बात कि जब आप गांव आएं और आपके कदम बाग़-बगीचे की ओर ना जाएं तो समझ लीजिए कि आप शहरी हो गए हैं। भगवान् की कृपा है कि मैं शहरी नहीं बन पाई हूँ !