गौरव सिंह के परिजनों को 20 माह बाद भी नहीं मिली बीमा राशि

गौरव सिंह के परिजनों को 20 माह बाद भी नहीं मिली बीमा राशि

sportsjharkhand.com टीम

रांची

16 अप्रैल 2015 को झारखण्ड के उदीयमान क्रिकेटर गौरव कुमार सिंह की असामयिक मौत धुर्वा डैम में डूबकर हो गयी थी। मौत के 11 दिन बाद 27 अप्रैल को BCCI के तत्कालीन संयुक्त सचिव और तत्कालीन JSCA अध्यक्ष अमिताभ चौधरी ने गौरव सिंह के परिजनों को 10 लाख रूपये बीमा के रूप में BCCI की ओर से दिए जाने की घोषणा भी की। लेकिन आज 20 माह से ज्यादा का वक़्त गुजर जाने के बाद भी परिजनों को एक पाई भी नसीब नहीं हो पाया है। परिजनों ने इस संदर्भ में कई बार पत्राचार/मेल भी किया लेकिन अब तक कुछ सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया। परिजनों ने अपनी परेशानियों से JSCA के कई सदस्यों को भी कई बार अवगत कराया लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।

अमिताभ चौधरी ने घोषणा करते वक़्त बताया था कि 26 अप्रैल को कोलकाता में हुयी BCCI की बैठक में जूनियर क्रिकेटरों के बीमा को मंजूरी दे दी गयी है, जिससे कि क्रिकेटर की असामयिक मौत होने पर परिजनों को बीमा के रूप में 10 लाख रुपये मिल सके। अमिताभ चौधरी ने ये भी बताया कि बैठक के दौरान उनके (अमिताभ चौधरी) आग्रह पर BCCI ने गौरव के परिजनों को असामयिक मौत के बाद 10 लाख रूपये दिए जाने की मंजूरी दे दी है। जब मंजूरी मिल गयी थी तो बीमा के पैसे अब तक क्यों नहीं मिले।

U-19 झारखण्ड टीम का सदस्य था गौरव

गौरव झारखण्ड U-19 टीम का सदस्य रह चुका था, 14-15 सत्र में मेकॉन की ओर से उसने शानदार प्रदर्शन किया था और टीम को सुपर डिवीज़न चैंपियन बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था। उस वक़्त अखबारों में छपी ख़बरों को सच मानें तो JSCA के स्विमिंग पूल में तैरने का परमिशन नहीं मिलने के कारण फिटनेस के लिए गौरव धुर्वा डैम गया, जहाँ उसकी मृत्यु हो गयी।

छोटी बहन की शादी में खर्च होते पैसे

परिजनों ने गौरव की छोटी बहन की शादी में बीमा से मिलने वाले पैसों को खर्च करने के सपने संजोय हैं। लेकिन अब सब्र जवाब दे रहा है। गौरव की दो बहनों में से एक की शादी हो गयी है। परिजन दूसरी बेटी की शादी के लिए रिश्ता तलाशने में लगे हैं, अगर ये पैसे मिल जाते तो बहुत सहूलियत होती।

सदस्यों को एक लाख, क्रिकेटरों की मौत पर ठनठन गोपाल

JSCA क्रिकेटरों से ज्यादा अपने उन सदस्यों का ख्याल रखता है, जो रट्टू तोते की तरह इशारा करने पर पहाड़ा पढ़ने लगें। रांची ज़िला संघ से जुड़े एक बुजुर्ग खेल प्रशासक की तबियत खराब होने पर JSCA ने एक लाख रुपये की सहायता की थी, लेकिन खिलाड़ी इतने भाग्यशाली नहीं रहे। हाँ स्व संतोष लाल को इलाज़ के JSCA ने ज़रूर मदद की लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। गौरव ने जिस JSCA के लिए मैच खेले उसने ही मौत के बाद मुंह मोड़ लिया।

जब खतरा मंडराया… तब PC कराया

झारखण्ड राज्य क्रिकेट संघ और उसके सदस्यों ने आखिरी बार खिलाड़ियों के लिए जी हां, सिर्फ और सिर्फ खिलाड़ियों के पक्ष में प्रेस कॉन्फ्रेंस कब किया था ? याद है आपको ? मुझे भी याद नहीं ! पिछले 4-5 वर्षों में या तो मैच के आयोजन मिलने पर, HEC के खिलाफ भड़ास निकालने पर, सदस्यों को बाहर निकालने पर और AGM/SGM होने पर ही प्रेस कांफ्रेंस होता रहा है। HEC के खिलाफ तो कुछ विधायकों (ज्यादातर आजीवन सदस्य) तक से PC कराया। लेकिन राज्य के क्रिकेटर और क्रिकेट के लिए बनी संस्था JSCA ने ना तो 2011-12 में विजय हज़ारे ट्रॉफी जीतने की ख़ुशी में PC किया था न ही इस साल टीम के रणजी के सेमीफाइनल तक के सफर के बाद। PC तभी हुआ जब JSCA के मठाधीशों पर खतरा मंडराया।

खिलाड़ियों को सम्मान देने में भी पीछे JSCA

JSCA ने कभी खिलाड़ियों का वो सम्मान नहीं किया जिसके वे हक़दार थे। अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी जब राज्य और देश का नाम रौशन कर वापस रांची-जमशेदपुर या गृह जिले लौटते हैं तो सम्बन्धित खेल संघ की ओर से उनका ज़ोरदार स्वागत किया जाता है। लेकिन राज्य के सबसे धनी खेल संघ का व्यवहार इस मामले में रंक की तरह रहा है। जब भी क्रिकेटर लौटते हैं, प्रशंसक ही उनका इस्तक़बाल करते हैं, ना तो संघ ना ही पदाधिकारी।