sportsjharkhand.com टीम
रांची
झारखण्ड राज्य क्रिकेट संघ (JSCA) के हरफनमौला पूर्व पदाधिकारियों (अदालत के आदेश के बाद) को अचानक स्कूली बच्चों की याद आ गयी है। बच्चों की याद आने के पीछे भी JSCA का स्वार्थ छुपा है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिकूल फैसलों के बाद लोगों के मन में आयी खटास को दूर करने और युवाओं का दिल जीतने के बहाने स्टेडियम में भीड़ जुटाने की कारगर नीति पर JSCA काम करने में जुटा है। आगामी 16 से 20 मार्च तक JSCA स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट मैचों की श्रृंखला का तीसरा मैच खेला जाना है। टेस्ट मैचों के दौरान दर्शकों के टोटा को दूर करने के लिए स्कूली बच्चों को स्टेडियम में निःशुल्क प्रवेश देने की रणनीति काफी पुरानी है लेकिन कारगर। इसी रणनीति पर चलते हुए JSCA ने राजधानी के आधे दर्ज़न स्कूल के प्राचार्यों/प्रशासकों से विचार-विमर्श किया है। सब कुछ ठीक रहा तो JSCA टेस्ट मैच के दौरान रोजाना 5 हज़ार स्कूली बच्चों को मैच दिखाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
कॉलेज और स्पोर्टिंग क्लबों पर भी नज़र
JSCA की नज़र सिर्फ स्कूली बच्चों ही नहीं कॉलेज के छात्र-छात्राओं के अलावा रांची में चल रहे स्पोर्टिंग क्लबों पर भी है। JSCA स्टेडियम के बगल में ही जे एन कॉलेज और योगदा सत्संग कॉलेज है जहाँ हज़ारों बच्चे पढ़ते हैं। कॉलेज से स्टेडियम की दूरी इतनी है कि वॉक करते हुए भी पहुंचा जा सकता है। दूसरी ओर स्पोर्टिंग क्लबों से भी जुड़े हज़ारों खिलाडियों पर भी JSCA की नज़र है।
16 मैचों के दौरान नहीं दिखी थी ऐसी दरियादिली
क्रिकेट स्टेडियम के 2 किलोमीटर की परिधि के अंदर ही आधे दर्ज़न से ज्यादा स्कूल हैं, लेकिन अबतक हुए 16 मैचों (3 वनडे, 1 T-20, 7 IPL और 5 CLT-20) में इन स्कूलों के बच्चों की याद JSCA प्रबंधन को कभी नहीं आयी। स्टेडियम की बाउंड्री से सटे स्कूल के बच्चे 16 मैचों के दौरान पार्किंग में लगे वाहनों को देखकर ही मैच का आयामी लुत्फ़ उठाते रहे हैं। लेकिन अब JSCA की दरियादिली से उन्हें खिलाडियों को साक्षात देखने का मौका मिल सकता है।
दर्शक आएं इसलिए 3 नए शहरों में हो रहे टेस्ट
टेस्ट मैच के दौरान दर्शकों की घटती संख्या ICC और BCCI के लिए चिंता का विषय है। इसीलिये ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होनेवाले 4 टेस्ट मैचों की श्रृंखला के 3 मैच नए शहरों पुणे, रांची और धर्मशाला में कराये जा रहे हैं। इन तीन शहरों को टेस्ट मैच के आयोजन की ज़िम्मेवारी तो मिल गयी, लेकिन सफल आयोजन के लिए दर्शकों से भरे स्टेडियम की ज़रूरत होगी। और यही कारण है कि JSCA की नज़र स्कूली बच्चों पर है।