sportsjharkhand.com टीम
रांची
अमिताभ चौधरी के सामने झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (JSCA) और उससे जुड़े क्रिकेटरों की बिसात क्या है ! जवाब जानने के लिए खबर के शीर्षक में दिए गए आंकड़े ही काफी हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सीओए के रिपोर्ट के अनुसार BCCI के संयुक्त सचिव सह कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने जून 2017 तक हवाई यात्रा + दैनिक भत्ता + अन्य खर्चों पर 1.56 करोड़ रुपये खर्च किए वहीं JSCA के आंतरिक दस्तावेज बताते हैं कि JSCA ने वर्ष 2016-17 में घरेलू क्रिकेट पर कुल 1.33 करोड़ रुपये खर्च किए। महेन्द्र सिंह धौनी, सौरव तिवारी और वरूण एराॅन की सफलता को प्रत्येक प्रेस कांफ्रेंस अपना बतानेवाले JSCA की कथनी और करनी का अंतर बताने के लिए मात्र यही एक आंकड़ा काफी है। पता हो कि 2 जनवरी 2017 तक अमिताभ चौधरी JSCA के भी अध्यक्ष थे और आज भी पर्दे के पीछे से जेबी संस्था के रूप में संचालन कर रहे हैं। झारखंड अंडर-23 क्रिकेट टीम के पूर्व कोच मिहिर दिवाकर द्वारा JSCA से मिले पैसे वापस करने और कोच का पद छोड़ने का मामला समाचार पत्रों के माध्यम से रविवार को सामने आने के बाद खेल और खिलाड़ियों के नाम पर गंध मचानेवालों खेल प्रशासकों की सच्चाई और प्राथमिकता आपके सामने है।
घरेलू क्रिकेट पर 1.77 तो प्रशासनिक खर्चों पर 4.2 प्रतिशत खर्च
जी हां ! यही सच है घरेलू क्रिकेट पर JSCA मात्र 1.77 प्रतिशत खर्च करता है जबकि प्रशासनिक खर्चों पर 4.2 प्रतिशत रकम खर्च होती है। यानी घरेलू क्रिकेट पर खर्च होनेवाली रकम से 2.37 गुणा ज्यादा रकम प्रशासनिक खर्चों पर होती है। 2016-17 के बैलेंस सीट के अनुसार JSCA ने कुल 75.06 करोड़ रुपये खर्च किए जिनमें से मात्र 1.33 करोड़ रुपये ही घरेलू क्रिकेट पर खर्च हुए वहीं 3.15 करोड़ रुपये प्रशासनिक खर्चों पर। गणित की समझ कमजोर हो तो इसे इस तरह से समझे कि JSCA अगर कुल खर्च 100 रुपया करता है तो दो रुपये से भी कम का खर्च घरेलू क्रिकेट पर करता है जबकि चार रुपये से ज्यादा खर्चा प्रशासनिक खर्चों पर करता है। हद है ! बच्चे पर खर्च 2 रुपया भी नहीं और केयरटेकर पर खर्चा 4 रुपये से ज्यादा ! ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट को दखल देने की जरूरत थोड़े ही ना पड़ी थी।
मिहिर के फैसले को पूर्व क्रिकेटरों ने सराहा
झारखंड के अंडर-23 के कोच मिहिर दिवाकर द्वारा JSCA को चेक वापस किए जाने की सच्चाई मीडिया में सामने आने के बाद पूर्व और वर्तमान रणजी क्रिकेटरांे ने सराहा है। लेकिन सुप्रीमो के मिस्कंडक्ट रडार पर कोई आना नहीं चाहता इसलिए कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं। पूर्व रणजी खिलाड़ियों ने मिहिर के फैसले को सराहा और सोशल साइट्स पर अपने विचार खुल कर रखे। वैसे तो मिहिर प्रकरण तो तीन-चार माह पहले का है लेकिन जमशेदपुर में ये सच्चाई रविवार की सुबह अखबारों के माध्यम से सामने आयी।