रांची
न्यूजीलैंड में भारतीय अंडर 19 टीम ने शनिवार को आॅस्ट्रेलिया को हराकर अंडर 19 विश्वकप का खिताब चौथी बार जीत लिया। इस जीत में झारखंड के अनुकूल राय ने भी अहम भूमिका निभाते हुए प्रतियोगिता में भारत के लिए सबसे ज्यादा 14 विकेट झटके। अनुकूल को शानदार प्रदर्शन के लिए ढेर सारी बधाई लेकिन sportsjharkhand.com आपको इससे जुड़े एक स्याह हकीकत से रू-ब-रू कराना चाहता है। क्या आप जानते हैं कि झारखंड के अनुकूल राय BCCI के दस्तावेजों के अनुसार 2016 तक ही अंडर 19 क्रिकेट खेलने की योग्यता रखता था (देखें तस्वीर) ? प्रश्न उठना लाजिमी है कि जो क्रिकेटर वास्तविक उम्र के हिसाब से 2016 तक ही अंडर 19 टीम में शामिल होने की योग्यता रखता हो वो 2018 में अंडर-19 विश्व कप कैसे खेल रहा है ? भारतीय उपमहाद्विप के जूनियर खिलाड़ियों की उम्र को लेकर विवाद पुराना है और इसे ही दूर करने के लिए BCCI ने खिलाड़ियों की उम्र की वास्तविक गणना के लिए एज वेरिफिकेशन साइंटिफिक तरीके से करना शुरू किया। इसी सिलसिले में 2013-14 में JSCA के एवीपी टीम रजिस्ट्रेशन फाॅर्म अंडर 16 के जरिए झारखंड के 41 खिलाड़ियों का एज वेरिफिकेशन किया गया। इसमें सीरियल नंबर 13 देखने से साफ हो जाता है कि अनुकूल राय 2016 तक ही अंडर 19 क्रिकेट खेलने की योग्यता रखते हैं (देखें तस्वीर)।
साइंटिफिक टेस्ट में दस्तावेजी उम्र और वास्तविक उम्र में था अंतर
BCCI द्वारा 2013 में जब टेस्ट हुए उस समय दस्तावेजों के हिसाब से अनुकूल राय की उम्र 14 साल 9 माह थी लेकिन काॅन्स 1 बोन टेस्ट के हिसाब से वास्तविक उम्र 16 साल 5 माह और काॅन्स 2 बोन टेस्ट के हिसाब से 16 साल 1 माह आयी। इसी आधार पर BCCI ने 2016 के बाद अनुकूल राय को अंडर 19 क्रिकेट के लिए अयोग्य माना था। इस टेस्ट में JSCA के 41 में से 25 क्रिकेटरों की दस्तावेजी उम्र और वास्तविक उम्र में भारी अंतर पाया गया (देखें तस्वीर में पूरी लिस्ट)।
विश्वकप के लिए कट आॅफ डेट था 1 सितंबर 1998
न्यूजीलैंड में हुए विश्वकप के लिए चुने जानेवाले खिलाड़ियों के लिए जन्म तिथि का कट आॅफ डेट 1 सितंबर 1998 रखा गया था। इस लिहाज से 30 नवंबर 1998 की जन्म तिथि के साथ अनुकूल राय खेलने की योग्यता रखते हैं। लेकिन 2013 के BCCI की एज वेरिफिकेशन के साइंटिफिक तरीके में अनुकूल राय के दस्तावेजी डेट आॅफ बर्थ को BCCI सही नहीं मानती।
नोट: इस खबर के माध्यम से हमारा मकसद किसी के भी प्रदर्शन को कम करके आंकना नहीं है। हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ खेल प्रशासन से जुड़ी संस्थाओं की कथनी और करनी के अंतर को सामने लाना है।