sportsjharrkhand.com टीम
रांची
एसएम हाशमी ने झारखंड ओलंपिक संघ (JOA) के 27 मई को हुए चुनाव की वैधता को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उक्त चुनाव में भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के संविधान के नियमों/परिनियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गयीं थीं। हाशमी ने भी उन्हीं को मुद्दा बनाते हुए अदालत में याचिका लगायी है और IOA के अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष को भी पार्टी बनाया है। पता हो कि IOA के नियमों की धारा XXVIII (a), (b), (c), (d), (g), (h) और XI (1)(a), XXI (f) का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन कर चुनाव कराया गया था। IOA का संविधान वही पुलिंदा है जिसके अभाव में 2012-13 में लगभग डेढ़ वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी (ICC) ने भारत की सदस्यता रद्द कर दी थी। इस मामले में निम्नलिखित बिंदुआंे पर अदालत के अंदर IOA की भद्द पिटनी तय है क्योंकि
1.आइओए ने दर्जनों आपत्तियांे का निपटारा किए बगैर आरके आनंद गुट को जीत की बधाई संबंधी पत्र दे दिया
2.जब आइओए के ही संविधान को धता बताकर चुनाव कराया गया तो किन परिस्थितियों में मान्यता का पत्र जारी किया गया
3.आइओए अध्यक्ष ने आपत्तियों का निपटारा होने तक मान्यता नहीं देने का निर्देश महासचिव को दिया था, फिर मान्यता संबंधि पत्र कैसे जारी हो गया ?
4.आइओए संविधान की अवहेलना की पूरी जानकारी होने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई
IOA ने सही जवाब दिया तो बढ़ेगी JOAकी परेशानी
अदालत में IOA अगर अपने संविधान के हिसाब से जवाब देता है तो वह तो बच सकता है लेकिन ऐसी स्थिति में आरके आनंद गुट की परेशानी बढ़नी तय है।। संभव है कि इसी को भांपते हुए IOA के महासचिव राजीव मेहता ने साफ-साफ मान्यता पर पत्र देने की बजाय बधाई देते हुए इशारों-इशारों में मान्यता देने की चिट्ठी JOA को थमायी है।