रांची
सोमवार को हजारों लोगों के सामने मुख्यमंत्री रघुवर दास जी और केन्द्रीय रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल जी ने झारखंड सरकार और CCL के संयुक्त उपक्रम JSSPS के तत्वावधान में चलायी जा रही यूनिवर्सिटी में इसी सत्र से 1400 बच्चों के नामांकन की घोषणा मंच से की। तकनीकी रूप से यूनिवर्सिटी की जगह अकादमी होना चाहिए था। फैक्चुअल ब्लंडर का दोषी कौन है ? sportsjharkhand.com का मानना है कि इसके लिए दोषी वे अधिकारी हैं जो मुख्यमंत्री और कोयला मंत्री की आंख-नाक-कान-सलाहकार की भूमिका में हैं, दोषी JSSPS से जुड़े वे अधिकारी हैं जिन्होंने सीएम और केन्द्रीय मंत्री को आधी-अधूरी और गलत जानकारी प्रेषित की। मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री के श्रीमुख से निकले शब्दों को लगभग सभी समाचार पत्रों ने हूबहू छापा है, किसी ने भी यूनिवर्सिटी को अकादमी लिखने की जरूरत नहीं समझी। इससे साफ होता है कि अकादमी और यूनिवर्सिटी को लेकर आम और खास सभी लोग असमंजस की स्थिति में हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में लाने और इससे उबारने की जिम्मेवारी किसकी है ? जाहिर है ये जिम्मेवारी प्राथमिक तौर पर JSSPS की है। क्या JSSPS इस जिम्मेवारी को निभा रहा है ? आप खुद ही तय कीजिए।
यूनिवर्सिटी तो फाइलों में फाइनल नहीं हुई, जमीं पर कहां दिखेगी ?
sportsjharkhand.com अपने सभी सुधी पाठकों को बताना चाहता है कि JSSPS की यूनिवर्सिटी की फाइल अभी प्रोजेक्ट भवनों के चक्कर काट रही है। चक्कर सफलतापूर्वक काटने के बाद कैबिनेट के रास्ते विधानसभा से होते हुए यूनिवर्सिटी जमीं पर उतारी जाएगी। यूनिवर्सिटी फाइलों में फाइनल नहीं हुई और नामांकन की घोषणा सीएम और केन्द्रीय मंत्री से करायी जाने लगी ? हास्यास्पद स्थिति है, ऐसे में JSSPS को चाहिए कि वे इस विषय पर व्याप्त उहापोह की स्थिति को समाप्त करने की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाए।